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खेल से खेल तक

गुरुवार, 14 नवंबर 2013

सचिन... दीवानों के दिल से....संकलन रजनीश बाबा मेहता


हज़ारों बरस नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है......बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा.... ये फैसला सचिन का था...तो सचिन ने कर दिया..... मगर क्या चंद अल्फाज़ों से....चंद जज्बातों में....ये रिश्ता खत्म हो जाएगा.... नहीं.......क्योंकि दिलों के रिश्ते, ज़ुबां से खत्म नहीं होते.... कभी सोचा ही नहीं कि अब क्या होगा....सचिन क्या करेंगे....हम क्या करेंगे....बेचारा क्रिकेट का करेगा.... कभी समझा ही नहीं कि, बिन सचिन क्रिकेट का रंग क्या होगा......तालियां बजेंगी भी या नहीं....शोर उठेगा भी या नहीं.... क्या मैच के लिए फिर कभी बहाने बनेंगे....क्या एक खिलाड़ी के आउट होते ही टीवी बंद होंगे....क्या फिर क्रिकेट में कोई इंकलाब होगा.....क्या फिर किसी का वैसा ही इस्तकबाल होगा.... ------------------------------------------------------------------------------------------- बस दो पल के लिए ये सोचिए कि सचिन अब दोबारा मैदान पर नहीं लौटेंगे...बस एक लम्हे के लिए ये महसूस कीजिए कि सचिन की पारियां अब गुजरे जमाने की बात हो जाएगी....वो पारियां...वो चौके....वो छक्के....अब दोबारा नहीं दिखेंगे.... ----------------------------------------------------------------------------------------- दीवानगी जब नशा बन जाए...तो नज़ारे कुछ ऐसे ही होते हैं.... 24 बरस से ये दुनिया बरस इसी सुरुर में झूम रही है.... हर आगाज़ पर एक आवाज़ उठती है...और उस आवाज़ से करोड़ों अरमान......जो न तब खत्म हुए थे.....न अब खत्म हुए हैं..... सचिन के रास्ते जुदा हो रहे हैं....लेकिन वो यादें, हमेशा उसी मोड़ पर मिलेंगी....जहां अपने खुदा की विदाई पर ये खेल हमेशा सिसकियां लेता रहेगा... दीवानगी का कोई नाम हो न हो....एक अहसास जरूर है....जिसे हमने भी महसूस किया है....और उन्होंने भी जिनके नाम पर दीवानगी के दरिया आज भी बहते हैं... उसमें कुछ तो बात होगी....जो अमिताभ की एक्टिंग को रोक दे....लता की गायकी को थाम दे....जिसके नाम पर इसी कायनात में एक नई दुनिया बसती हो....जिसकी आहट पर करोड़ों दिल खिलते हों....जिसे इंसान होकर भी ये दुनिया इंसान मानने से इंकार कर दे.....जिसकी हर हरकत में मुल्क की बरकत तलाशी जाए.... दीवानगी का रिश्ता दिल से है...और सचिन का ज़िन्दगी से....उसके अलविदा कहने से.....ये रिश्ते खत्म नहीं होंगे....यादें फिर लौटकर आएंगी....हर बार, जब क्रिकेट की बात चलेगी.....जब खेल का ज़िक्र होगा.... ---------------------------------------------------------------------------------------------------- सचिन का सबसे बड़ा दीवाना कौन है...इसका कोई पैमाना नहीं...लेकिन दीवानों की फेहरिश्त में कई नाम ऐसे भी हैं, जिनकी पूरी दुनिया दीवानी है....फिर वो अमिताभ बच्चन हों...लता मंगेशकर हों....या फिर आशा भोंसले... सदी के महानायक और सही के सबसे बड़े खिलाड़ी के बीच वहीं रिश्ता है...जो आपके और सचिन के बीच है......यानी दीवानगी..... सचिन की पारी के लिए काम-धाम छोड़ना...सचिन के सिक्सर पर हुल्लड़ मचाना....मास्टर के हर आगाज़ पर ताली...और पारी के हर अंज़ाम पर मातम.... इस रिश्ते के हर रिवाज़ को अमिताभ भी 24 साल से निभा रहे हैं....जब सचिन के संन्यास की खबर आई, तो अमिताभ के चेहरे पर भी वैसे ही शिकन थी...जो हमने और आपने महसूस की... ............ कुछ वक्त पहले जब एक समारोह में सचिन और अमिताभ का आमना-सामना हुआ था...तो खुद महानायक ने कबूल किया था...कि मास्टर की पारियों की वज़ह उन्होंने भी खूब छुट्टियां ली हैं.... सचिन की नज़र में लता मंगेशकर का दर्जा मां से भी बड़ा है....सचिन की हर कामयाबी में लता की दुआएं भी साथ रही हैं....और लता के हर सुर में सचिन की दाद.... सचिन लता को आई कहकर पुकारते हैं...और लता ने भी सचिन को बेटे जैसा प्यार दिया....लेकिन मैदान के अंदर मां-बेटे का ये रिश्ता खत्म हो जाता है...और लता की आवाज़ भी उसी सुर का हिस्सा बनती है...जो पूरे हिन्दुस्तान के दिल से निकलती है... ------------------------------------------------------------------------------------------------------------ कुछ यही नाता सचिन और आशा भोसले के बीच है....आशा की नज़र में भी सचिन खुदा है...और उनकी शख्सियत एक मिसाल.....अपने जज्बातों का इज़हार खुद आशा भोसले भी कई बार कर चुकी हैं ...... यानी वो हस्तियां, जो भारत के रत्न हैं....वो भी सचिन को देश का असली कोहिनूर मानती हैं.... --------------------------------------------------------------------------------------- शाहरुख खान..आमिर खान...और सलमान खान...पूरी दुनिया में बॉलीवुड के तीनों खान के दीवानों की गिनती करें...तो शायद आंकड़ा हिन्दुस्तान की पूरी आबादी तक पहुंच जाएगा....लेकिन वो सितारे जिनकी पूरी दुनिया दीवानी है....उनकी दीवानगी का नाम है...सचिन तेन्दुलकर ...... शाहरुख... सलमान...और कभी आमिर.....बेशक फिल्मी दुनिया के ये तीन आसमान हों.....लेकिन सचिन के नाम पर ये तीनों कलाकार एक ही जमीन पर दिखते हैं..... आमिर और सचिन की दोस्ती कितनी पुरानी है...तारीख इन तस्वीरों में ही छिपी है.... बात 1990 की है..जब आमिर की फिल्म अंदाज़ अपना अपना की शूटिंग शुरु हुई थी...और खुद आमिर ने सचिन को फिल्म की मुहुर्त शूटिंग में आने का न्योता दिया था.... यानी सचिन का क्रिकेट का सफर...और आमिर की दीवानगी साथ साथ ही चली है...जब जब सचिन की बात चली है....आमिर के जज्बात जुबां पर आ ही गए... ... ये सच है कि शाहरुख के नाम पर करोड़ों दिन धड़कते हैं....लेकिन जब सचिन का ज़िक्र आता है...तो किंग खान भी सिर झुकाते हैं.... खुद शाहरुख खान भी ये इकरार कर चुके हैं...सचिन की बल्लेबाज़ी की खातिर उन्होंने भी काम-धंधा छोड़ा है....स्कूल से छुट्टी की है... क्रिकेट से दूर बेशक शाहरुख एक सुपरस्टार हों...लेकिन मैदान के भीतर वो भी उसी भीड़ का हिस्सा हैं, जो सचिन को क्रिकेट का भगवान मानती है .... दबंग खान भी हमनें और आपसे जुदा नहीं है....खासतौर पर तब, जब मैदान पर सचिन का बल्ला आग अगला हो....दो बरस पहले मुकेश अंबानी की महफिल में सलमान खान ने खुद इस बात को कबूल भी किया था... .................................. कितना भी बड़ा कलाकार हो...कितना भी बड़ी सुपरस्टार हो....हर हस्ती की नज़र में सचिन सबसे बड़ी हस्ती हैं.... ----------------------------------------------------------- बॉलीवुड की बात तो हो गई...बारी अब क्रिकेट की दुनिया की है..वैसे तो पूरी क्रिकेट बिरादरी सचिन के सामने सिर झुका चुकी है....लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी जज्बात अक्सर जुबां पर आते रहे हैं....जिनके लिए सचिन खुदा से भी बढ़कर हैं .................. हर जुबान से सिर्फ एक नाम...सचिन..... इस मंज़िल के लिए सचिन का कारवां उस दिन ही चला पड़ा था...जब सर डॉन ब्रैडमैन ने खुद सचिन में अपना अक्स तलाशा था.... यूं तो क्रिकेट की कायनात में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं...जिसने सचिन को सज़दा न किया हो.... 16 साल की बरस में भी सचिन...बड़े बड़े दिग्गजों को आगे बढ़ने की हिम्मत दे चुके हैं....और यही उन सितारों की सचिन के लिए दीवानगी की असली वज़ह भी है..... एक ऐसा ही किस्सा नवजोत सिंह सिद्धू की जुबान से सुनिए......कहानी उस वक्त की है, जब सचिन करियर के पहले दौरे पर पाकिस्तान गए थे... इस बात में शक नहीं कि 1983 की जीत ने सचिन को क्रिकेटर बनने की वज़ह दी थी....लेकिन इस बात में भी दो राय नहीं कि सचिन के करिश्मे ने हज़ारों नौजवानों को क्रिकेट के मैदान से जोड़ दिया....जिसमें एक नाम वीरेन्द्र सहवाग का भी है.... सचिन की दीवानों का ज़िक्र हो..तो इस शख्स का ज़िक्र भी जरूरी है... नाम है सुधीर...सुधीर कौन हैं..शायद बताने की जरूरत नहीं है...लेकिन सचिन की विदाई पर सुधीर के दिल की बात..आपको सुनाना जरुरी है...क्योंकि ये जज्बात सिर्फ सुधीर नहीं...हमारे भी हैं...और आपके भी.... रजनीश बाबा मेहता Seg- 1 - http://youtu.be/taOap3AoFVw Seg- 2 - http://youtu.be/tWy4B9Pc0ew Seg- 3 - http://youtu.be/GjHaxYBzuww Seg- 4 - http://youtu.be/MA54XQi2hUw

बुधवार, 13 नवंबर 2013

डॉक्यूमेंट्री सचिन 'रिकॉर्ड' तेंदुलकर की....रजनीश बाबा मेहता


सचिन रिकॉर्ड तेंदुलकर  यादों के झरोखों से कुछ वही किस्से...आज हम आपके सामने लेकर आए हैं....सचिन के वो रिकॉर्ड जो हमारे...आपके...आने वाली हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बनकर सामने हैं....आज हम आपको दिखाएंगे क्रिकेट के मैदान पर सचिन के पहले...और आखिरी कदम तक का वो सफर...जो छोड़ गए रिकॉर्ड के अनगिनत आंकड़े... सचिन यानी क्रिकेट....सचिन यानी हिन्दुस्तान....सचिन यानी हम....सचिन यानी आप.....सचिन यानी वो जज्बात जिन्होंने परम्पराओं की बंदिश तोड़ दी....सचिन यानी एहसास जिसपर हर हिन्दुस्तानी इतराता है....   (मोंटाज़....)     सचिन कौन हैं...सचिन की बिसात क्या है....ये सवाल खुद से पूछीए......ज़ेहन के पन्ने उलटिए.. और याद कीजिए वो लम्हे, जो जिन्दगी का हिस्सा बनकर रह गए....     ALPHA GFX...   24 फरवरी, 1988 ....मुंबई की गलियों में सचिन का नाम पहली बार गूंजा था.... मौका था हैरिस शील्ड टूर्नामेंट का...स्कूल के दिन थे... लेकिन लड़कपन की इस उम्र में भी सचिन करिश्मा वो कर गए... जिसे टूटने में 20 साल लग गए... विनोद कांबली के साथ सचिन ने 664 रन की साझेदारी की... और क्रिकेट इतिहास का एक नया रिकॉर्ड बना डाला...     ALPHA GFX---10 दिसंबर 1988 ....   मुंबई की रणजी टीम में सचिन का नाम शामिल हुआ... और कलम की ये स्याही भी एक नया रिकॉर्ड बना गई... 15 बरस की कच्ची उमर में इससे पहले कोई खिलाड़ी रणजी टीम में नही आया था... मैदान पर उतरते ही सचिन ने फिर रिकॉर्ड बनाया... और रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी के पहले ही मैच में शतक लगाने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी बन गए....     ALPHA GFX     15 नवंबर 1989 ....पाकिस्तान की जमीन पर सचिन तेन्दुलकर करियर का पहला मैच खेलने उतरे... बाउंड्री के उस पार सचिन का वो कदम भी एक रिकॉर्ड था...क्योंकि 16 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाला ये लड़का ...दुनिया इकलौता खिलाड़ी था...     ALPHA GFX- 1996, वर्ल्डकप ....    सफर का अगला पड़ाव था...1996 का वर्ल्डकप....अपनी ही सरजमीं पर सचिन एक नया मुकाम छूने जा रहे थे....87 की औसत... दो शतक...और 523 रन... भारतीय टीम सेमीफाइनल में हार गई... लेकिन एक वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड सचिन के खाते में आ गया....   ALPHA GFX.. 1998 ....   यही वो साल था... जब सचिन की रफ्तार ने क्रिकेट के तमाम सूरमाओं को पीछे छोड़ दिया....GFX IN..9 शतक..और 1894 रन....एक केलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा रन और सबसे ज्यादा शतक... 15 साल बाद भी ये रिकॉर्ड आज सचिन की शख्सियत का सबूत बनकर सामने है....GFX OUT...   (शारजाह और तमाम दूसरी पारियों के शॉट्स लगाएं 1998 वाली)   वो पारियां...वो तेवर...और हुनर...क्रिकेट को एक नई परिभाषा दे गए...   (मोंटाज़...)     ALPGA GFX. 28 अक्टूबर 1998 ... ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मुकाबले में सचिन नया करिश्मा कर गए....पहले शतक और फिर चार विकेट....GFX..एक ही पारी में सेंचुरी और चार विकेट लेने वाले सचिन दुनिया के पहले खिलाड़ी बने GFX OUT   (शॉट्स+ होल्ड)     1999 में सचिन ने राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर वनडे में 331 रनों की रिकॉर्ड पार्टनरशिप की..         1990 से लेकर 1998 के बीच लगातार 185 मैच खेलने वाले सचिन दुनिया के एक मात्र क्रिकेटर है.. जिनके नाम ये उपलब्धि दर्ज है...    ज्यादातर मौकों पर सचिन ने वनडे के एक कैलेंडर इयर में 1000 से ज्यादा रन बनाने का कारनामा 7 बार किया... जो आज भी वर्ल्ड रिकॉर्ड है......    वनडे में सचिन ने 1994, 1996, 1997, 1998, 2000, 2003 और 2007  में 1000 रनो से ज्यादा का स्कोर किया...   alpha - 23 August 2002    सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स में करियर का 30वां शतक लगाकर ब्रैडमैन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया ..ये वो वक्त था जब सचिन लगातार एक के बाद एक नए मुकाम हासिल करते जा रहे थे...      alpha - 2003 वर्ल्ड कप में सचिन वर्ल्ड कप में सचिन के रनों की कहानी हर फैंस को मालूम थी.. औऱ जब मौका 2003 वर्ल्ड कप का आया .. तो यहां सचिन ने  673 रन बनाकर... खुद के रिकॉर्ड को ही तोड़ डाला... सचिन अब ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके थे.. जहां वो खुद के रिकॉर्ड को तोड़कर नए रिकॉर्ड बनाने लगे...सचिन की आतिशी बल्लेबाजी की बदौलत ही ... टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल तक का सफर तय कर पाई थी...   alpha -  4 जनवरी 2004 वर्ल्ड कप के बाद सचिन टेस्ट मैच खेलने ऑस्ट्रेलिया जा पहुंचे.. जहां उन्होंने टेस्ट में पहली बार सर्वाधिक स्कोर बनाया... सचिन ने.. कंगारूओं के खिलाफ इस मुकाबले में 241 रनों की नाबाद पारी खेली..   12 दिसंबर 2004 सचिन अपने टेस्ट करियर में सबसे ज्यादा 248 रनों के स्कोर तक पहुंचे... सचिन ने बांग्लादेश के खिलाफ इस टेस्ट में 248 रनों नाबाद पारी खेलकर.. सुनील गावस्कर के टेस्ट क्रिकेट में 34 शतकों के रिक़र्ड की बराबरी   तारीख - 22 दिसंबर 2005 दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में करियर के 124वें  टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ 35वां शतक लगाकर... सचिन ने ना सिर्फ गावस्कर का रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि क्रिकेट की दुनिया के सिरमौर भी बन गए..   2008 में तोड़ा ब्रायन लारा का रिक़ॉर्ड   सचिन के करियर में सबसे बड़ा मोड़ उस वक्त आया... जब क्रिकेट के इस भगवान ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रनों का रिक़ॉर्ड तोड़ा... मौका था मोहाली टेस्ट और विरोधी ऑस्ट्रेलियाई टीम थी... सचिन ने पहला टेस्ट खेल रहे पीटर सिडल की इस गेंद पर 1 रन लेकर ब्रायन लारा के टेस्ट में सर्वाधिक 11953 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ कर नया रिकॉर्ड बना डाला..   वनडे क्रिकेट में बनाए नए नए रिकॉर्ड   टेस्ट की तर्ज पर ही सचिन का वनडे में भी रनों का सैलाब जारी था... क्योंकि..सचिन वनडे की दुनिया में एक मात्र ऐसे क्रिकेटर बन गए..... जिन्होंने वनडे में 14000 रनों का आंकड़ा ही नहीं बल्कि 15000, 16000, 17000 औऱ 18000 रनों का आंकड़ा पार किया.. जो कि वर्ल्ड रिकॉर्ड है.. ptc अब तक सचिन टेस्ट और वनडे क्रिकेट में अनगिनत मुकाम हासिल कर चुके थे.. लेकिन इस रिकॉर्ड के दौरान कई ऐसे रिकॉर्ड अपने आप बनते चले गए.. जो कि इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया..   सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट में ऐसे पहले क्रिकेटर हैं... जिन्होंने 866 क्रिकेटर के साथ क्रिकेट खेला है... जिनमें साथी खिलाडी के साथ साथ विरोधी खिलाड़ी भी शामिल हैं...   सचिन एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो लगातार 10 साल तक आईसीसी टेस्ट रैकिंग की टॉप 10 खिलाड़ियों में शामिल रहे...   सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट के ऐसे पहले खिलाड़ी हैं जिन्होंने अब तक सबसे ज्यादा रन चौकों से बनाए... सचिन ने वनडे में 2016 चौके लगाए.. जिसकी बदौलत सचिन ने 8064 रन चौकों की बदौलत हासिल किए....   रिकॉर्ड के मामले में सचिन दुनिया के पहले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्हें थर्ड अंपायर सिस्टम के तहत पहली बार आउट  दिया गया...    ओपनिंग पार्टनरशिप के मामले में सचिन और सौरव गांगुली की जोडी ने  136 मैच में 21 शतक औऱ 23 अर्धशतक के साथ 6609 रन बनाए.. जो कि आज भी वर्ल्ड रिकॉर्ड है..   हालांकि रिकॉर्ड के झरोखों से देखें तो क्रिकेट की दुनिया में सिर्फ औऱ सिर्फ एक ही चेहरा नजर आता है .. वो हैं मास्टर ब्लास्टर यानि सचिन तेंदलकर का.. जिसके रिकॉर्ड को तोड़ना अब क्रिकटर्स के लिए सपना भर ही है.. (ptc - इन महान उपलब्धियों के बाद भी वनडे का एक ऐसा रिकॉर्ड बाकी था...जिस तक पहुंचने का सपना खुद सचिन भी लगातार कई साल से देखते आ रहे थे.. ) ------------------------------------------------------------------------------------- (क्रिकेट की हर मुश्किल दहलीज को लांघकर मास्टर ब्लास्टर ने... यूं तो कामयाबी के कई नए आयाम लिखे...लेकिन अभी भी एक रिकॉर्ड था... जो सिर्फ औऱ सिर्फ सचिन का ही इंतजार कर रहा था... वो रिकॉर्ड था वनडे में सर्वाधिक रनों का ....)  तारीख    - 24 फरवरी 2010 स्टेडियम - कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम ग्वालियर तारीख    - 24 फरवरी 2010 स्टेडियम - कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम ग्वालियर   short montage of sachin 200th inning in odi with fans celebration and board  सचिन के इस ऐतिहासिक शॉट के बाद... ग्वालियर के इस स्टेडियम में शोर थमने का नाम नहीं ले रहा था ...यां यूं कहें कि फैंस इस ऐतिहासिक शोर को थमने ही नहीं दे रहे थे...  क्योंकि ये वो लम्हा था.. जो क्रिकेट की दुनिया में पहली बार करिश्माई अंदाज में सबके सामने आया था... ये वो लम्हा था... जिसे हासिल करने के लिए खुद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को ... 21 बरस इंतज़ार करना पड़ा था... लिहाज़ा 200 रनों का आंकड़ा छूते ही ना सिर्फ ग्वालियर के गलियारों से ... बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट के हर मुल्क से ये आवाज़ आ रही थी कि सचिन जैसा कोई नहीं ... सचिन सिर्फ तुम्ही इसी कारनामे को अंजाम दे सकते हो... और होता भी क्यों नहीं... दरअसल क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौका था... जब किसी बल्लेबाज़ के बल्ले से इतनी बड़ी पारी निकली थी... और ये पारी सचिन तेंदुलकर के बल्ले से निकली थी...     sachin back four on parnell bowlshots of ग्वालियर के मैदान में जब 24 फरवरी को जब सचिन ने कदम रखते ही... दूसरे ओवर मे वेन पार्नेल की गेंद पर बैक टू बैक 2 चौके लगाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए... hold   ग्वालियर में तीसरे ओवर की आखिरी गेंद डेल स्टेन डाल रहे थे.. औऱ सामने मास्टर ब्लास्टर अपने मजबूत इरादे लिए खड़े थे.. स्टेन की गेंद पर सचिन का ये तीसरा चौका ..फैंस को झूमने पर मजबूर कर दिया..   सचिन का जो ये कारवां चल निकला था.. वो थमने का नाम नहीं ले रहा था... क्योंकि रनों के पहाड़ की ओर चल निकले..सचिन ने मुकाबले में चौथा चौका भी स्टेन की गेंदों पर लगाया..   हर ओवर के साथ सचिन चौके पे चौका लगाते जा रहे थे..और यही आलम मैच के अंत तक रहा... सचिन अपनी इस ऐतिहासिक पारी में अंत तक टिके रहे.. एक छोर पर दूसरे बल्लेबाज आते औऱ चले जाते.. लेकिन सचिन अपने ऐतिहासिक स्कोर की ओर बढ़ते जा रहे थे..   सचिन ऩे अपने इस वर्ल्ड रिकॉर्ड में वेन पार्नेल की 24 गेंदों पर 46 रन बनाए... hold with sachin boundry on parnell   जैक कैलिस की 15 गेदों पर 24 रन ....hold with sachin boundry on kallis ...मर्व की 32 गेदों पर 43 रन सचिन ने बनाए..  मास्टर ने तूफानी अंदाज में गेंदबाजी वाले डेल स्टेन की 31 गेंदों पर 37 रन ठोक डाले..hold sachin boundry shots on steyn... सचिन जे पी ड्यूमिनी के 17 गेंदों पर 20 रन और चार्ल लैग्वेल्ड की 28 गेदों पर 30 रन बनाए... hold sachin boundry shots... जैसे जैसे वक्त गुजर रहा था.. सचिन के रनों की बरसात बढ़ती जा रही थी.. आखिरकार वो लम्हा भी आ गया.. जब सचिन ने पहले तो वनडे में सर्वाधिक 194 रनों के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़कर सनसनी फैला दी.. .. मैच के 46वें ओवर की तीसरी गेंद पर सचिन ने 2 रन देकर वनडे का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला.... वेन पार्नेल की गेंद पर सचिन ने इतिहास रच डाला........   सचिन के इस शॉट के साथ ही एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया जिसे पाने की तमन्ना लगातार कई सालों से दुनिया का हर क्रिकेटर देख रहा था.. अब मास्टर की नजर दोहरे शतक पर जा टिकी.. )   हालांकि वो लम्हा भी जल्द करीब आ गया....जब मास्टर ने मैच के आखिरी ओवर की तीसरी गेंद पर 1 रन लेकर.. दोहरा शतक पूरा किया ... फिर क्या था.. इस जश्न को मैदान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया गया... और क्रिकेट की हर किताब में ये रिकॉर्ड अपने आप ही छपता चला गया.... इस रिकॉर्ड के बाद सचिन को क्रिकेट के सुपरमैन के नाम से भी बुलाया जाने लगा ।)   वनडे क्रिकेट में सचिन ने दोहरा शतक लगा एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया.. जो कि इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.. हालांकि फैंस ने इस मौके पर जश्न तो खूब मनाया..लेकिन खुद सचिन के साथ साथ उनके चाहने  वालों की ख्वाहिश महाशतक तक पहुंचना था.. औऱ उसका महाइंतजार अभी भी जारी था।) --------------------------------------------------------------------------------------- short montage of sachion sachin in tension क्रिकेट के हर रिकॉर्ड पर अपना नाम लिखवाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर .. अभी भी लगातार 33 पारियों से.. एक ऐसी समस्या से जूझ रहे थे.. जो उन्हें सोने नहीं दे रही थी..  लेकिन कहते हैं ना कि. . जब मास्टर एक बार जिद ठान लें तो फिर... हर सूखे को खत्म कर देते हैं... और आखिरकार जिस महाशतक का इंतजार हिंदुस्तान को ही नहीं... बल्कि पूरी दुनिया के फैंस को था.. वो मास्टर के बल्ले से निकला 16 मार्च 2012 को    लगातार 33 पारियों में शतक ना लगा पाने की कसक लिए.. सचिन तेंदुलकर आखिरकार.. एशिया कप खेलने बांग्लादेश जा पहुंचे.... हालांकि यहां भी उम्मीदों का दामन थामे सचिन ही नहीं बल्कि फैंस को सिर्फ औऱ सिर्फ महाशतक का इंतजार था ।) sachin---- मैं जहां भी जाता हूं हर कोई महाशतक का ही जिक्र करता है.....)     तारीख - 16 मार्च 2012 स्टेडियम - शेरे बांग्ला नेशनल स्टेडियम मीरपुर टूर्नामेंट - एशिया कप   रिकॉर्ड पर नजर.. औऱ महाशतक के इंतजार को खत्म करने का प्रण लिए.. सचिन तेंदुलकर ने जब एशिया कप के चौथे मुकाबले में ... बल्लेबाजी करने मैदान पर जैसे ही कदम ऱखा.. वैसे ही फैंस ने मास्टर का जबरदस्त इस्तकबाल किया... हालांकि ये जश्न आने वाली खुशियों का इशारा था....  औऱ जब मुकाबला शुरू हुआ तो फिर मैच के दूसरे ओवर की तीसरी गेंद पर... चौका लगाकर... सचिन ने अपने मजबूत आत्मविश्वास का परियच भी दे दिया... धीऱे धीरे सचिन इस मैच में अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले जा रहे थे... औऱ फैंस की सांसें थमती जा रही थी.. मैच का 19वां ओवर खत्म होने के बाद... सचिन तेंदुलकर 7 चौके औऱ 1 छक्का लगाकर अर्धशतक के पार पहुंच चुके थे... लेकिन भरोसा अब भी डगमगा रहा था... क्योंकि फैंस को रह-रह वही पारियां याद आ रही थीं... जो पिछले कई महीनों से मास्टर को महाशतक से दूर किए हुए थीं... बहरहाल सचिन विकेट पर डटे औऱ अपने कदम उस ऐतिहासिक मंजिल की ओर बढ़ाते रहे .... इस बीच सचिन के सामने चुनौती सिर्फ महाशतक की नहीं थी... बल्कि मुकाबले में टीम को मजबूत स्कोर तक भी ले जाने की थी... एक छोर पर.. टीम के दिग्गज बल्लेबाज आउट होते जा रहे थे.... तो वहीं दूसरी छोर पर सचिन मजबूती के साथ क्रीज पर टिके हुए थे... लेकिन सचिन ने खुद को संभाल लिया... औऱ फिर रनों के कारवां को मंजिल की ओर ले जाना शुरू कर कर दिया... औऱ आखिरकार वो लम्हा भी सबके सामने आ गया....जब सचिन ने महाशतक के लिए बल्ला उठाया... और नीचे वाले भगवान ने उपर वाले भगवान का शुक्रिया अदा किया... ....hold full celebration of sachin tendulkar...mahasshatak... सचिन ने महाशतक 138 गेंद खेलकर 10 चौके औऱ 1 छक्के की मदद से पूरा किया...hold shots of sachin....ज़ाहिरतौर पर ये वो ऐतिहासिक शतक है... जिसे क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में सबसे पहला स्थान मिला... और इसके ख्वाबगीर खुद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेदुलकर हैं... जिन्हें क्रिकेट में कई सदियों तक कोई भूला नहीं पाएगा...   (महाशतक की मंजिल पर पहुंचते ही.....हमारे औऱ आपके दुलारे सचिन तेंदुलकर को सचिन रिकॉर्ड तेंदुलकर के नाम से पुकारा जाने लगा....क्रिकेट के इस रिकॉर्ड पुरूष ने कामयाबी की कई दास्तान लिखी... औऱ जब जब इस दुनिया में क्रिकेट का जिक्र होगा... तब तब  क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का भी नाम लिया जाएगा...क्योंकि क्रिकेट का मतलब सचिन औऱ सचिन का मतलब रिकॉर्ड।) -------------------------------------------------------------------------------------- SEG- 1- http://www.youtube.com/watch?v=WKW3Z_QW1nQ SEG -2- http://www.youtube.com/watch?v=hFtKOuTZXtg SEG -3- http://www.youtube.com/watch?v=OWB9BP8NjSw रजनीश बाबा मेहता  

शनिवार, 20 जुलाई 2013

भारत रत्न ! मेज़र ध्यानचंद


भारतीय खेलों के इतिहास में... एक ऐसा वीर पैदा हुआ ... जिसकी चर्चा उनके मरणोपरांत भी फैंस में सिहरन पैदा कर देती है... जी हां 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के राजपूत फैमिली में जन्मे.. मेजर ध्यानचंद बचपन से ही  प्रतिभा के धनी और हुनरमंद थे.. .21 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद को न्यूज़ीलैंड जानेवाली भारतीय टीम में चुन लिया गया. इस दौरे पर भारतीय सेना की टीम ने 21 में से 18 मैच जीते...13 मई 1926 को पहली बार ओलंपिक मुकाबलों के लिए हॉकी थामने वाले ध्यानचंद... हर मौके पर अपने हुनर का जबरदस्त परियच दिया.. हालांकि 1928 एम्सटर्डम ओलम्पिक खेलों में पहली बार जब भारतीय टीम ने भाग लिया.. तो उस वक्त सबकी निगाहें.. इस जादूगर पर ही टिकीं थी.. मेजर ध्यानचंद की फुर्ती और गोल की बदौलत यहाँ चार मैचों में भारतीय टीम ने 23 गोल किए...जिसमें फाइनल मुकाबले में ध्यानचंद ने अहम् 2 गोल ठोककर खिताबी  जीत दिलाई.. लेकिन ये तो सिर्फ शुरूआत थी.. जब मौका 1932 लास एंजिल्स ओलम्पिक की आई.. तो यहां सेंटर फॉरवर्ड के तौर पर मशहूर हो चुके ध्यानचंद की ही बदौतल..फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम को अमेरिका के खिलाफ 24-1 से शानदार जीत मिली...जिसमें हॉकी के इस जादूगर ने 8 गोल किए.. तो वहीं इस पूरे टूर्नामेंट में रिकार्ड 101 गोल कर सुर्खियों में छा गए..उस वक्त एक अमेरिकी अखबार ने लिखा था कि..भारतीय हॉकी टीम .. तूफानी अंदाज में खेली..जिसने अपनी रफ्तार से अमेरिकी टीम के ग्यारह खिलाड़ियों को कुचल कर रख दिया... वक्त जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था..वैसे वैसे मेजर ध्यानचंद भी कामयाबी की बुलंदियों को छूते जा रहे थे.. हर कोई ध्यानचंद को दद्दा कहकर बुलाने लगा.. ध्यानचंद अब हॉकी के जादूगर बन चुके थे.. औऱ 1936 बर्लिन ओलंपिक ने तो ध्यानचंद की किस्मत ही बदलकर रख दी..  हिटलर के देश मे होने वाले इस ओलंपिक में ध्यानचंद कप्तान की हैसियत से पहुंचे.. जहां 15 अगस्त 1936 को फाइनल मुकाबले में ध्यानचंद की टीम ने मेजबान जर्मनी को 8-1 से हराकर सनसनी फैला दिया..ध्यानचंद की गजब की फुर्ती देखकर खुद तानाशाह हिटलर ने उन्हें मार्शल की उपाधि की पेशकश की.. लेकिन देशभक्ति और जीत से लबरेज ध्यानचंद ने इस पेशकश को ठुकरा दिया...  औऱ उस वक्त खुद  उन्हें ये अंदाज़ा भी नहीं था कि 11 वर्षों के बाद यह दिन भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण बन जाएगा..अप्रैल 1949 में हॉकी को अलविदा कहने वाले ध्यानचंद अपने इंटनेशनल करियर में 400 से भी ज्यादा गोल किए.. जो आज भी रिकॉर्ड है..  --------------------------------------------------------------------------------------- खिलाड़ियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजे जाने की बहस काफी पुरानी है... जबसे खेलों को इस कैटेगरी में शामलि किया गया .. तब से ही मेजर ध्यान चंद के अलावा....क्रिकेट के भगवान का रुतबा रखने वाले सचिन ... देश को 1960 के ओलंपिक में बेहद मुश्किल हालात होने के बावजूद .. टॉप 4 में पहुंचने वाले मिल्खा सिंह ... शतरंज की दुनिया के बेताज़ बादशाह ... विश्वनाथन आनंद का नाम ... इस सम्मान को लेकर  ज़ोर पकड़ने लगा ... बहस छिड़ी की आखिरी ये सम्मान  किसे दिया जाए ... बहस तीखी इसलिए भी थी .. क्योंकि यहां होड़ पहले पाने की भी लगी थी ... लेकिन आखिरकार जब बात भारत रत्न के लिए पहले खिलाड़ी को नामांकित करने की आई तो दद्दा यानी मेजर ध्यान चंद के सामने बाकी खिलाड़ियों की दावेदारी कमजोर पड़ गई...इसका ये मतलब ये कतईं नहीं कि बाकियों को दरकिनार समझा जाए ... लेकिन दद्दा रुतबा उस दौर में जरूर ऐसा था जिसे जिसने सुना ... जिसने देखा खुद को धन्य समझा ...आपको बताते हैं .. भारत रत्न की इस दावेदारी में किसकी क्या उपलब्धियां रहीं ...   मिल्खा ने दिखाया दम   दौर मुश्किल था ... खेलों को लेकर जागरुकता कम ... तो उस दौर में नाम आया ... मिल्खा सिंह का .. जिन्होंने भारतीयों को ये यकीन दिलाया कि एथलेटिस में हम कुछ कर सकते हैं ... क्योंकि इससे पहले तक भारतीय एथलीट्स को इस काबिल ही नहीं समझा जाता  था .. कि वो ओलंपिक में हिस्सा भी ले सकें... लेकिन 1960 ओलमपिक में मिल्खा देश के सबसे कामयाब एथलीट बने .. जो टॉप 4 में आने में कामयाब रहे ।   सचिन 'तुस्सी गॉड हो' !   सचिन देश का वो रत्न जिसे भारत रत्न देने की मांग  चलते ही .. भारत त्न को खेलों में सामिल किया गया ... सचिन के कद का अंदाज़ा तो आपको है ही .. जिनके नाम तो क्रिकेट में इतने रिकॉर्ड दर्ज हैं .. कि जब भी वो बल्लेबाज़ी करने उतरते  .. को ना को रिकॉर्ड तो बन ही जाता है... सचिन का आज वर्ल्ड क्रिकेट में जो रुतबा है .. उसे दुनिया सलाम करती है .   दद्दा 'द ग्रेट' डरते थे अंग्रेज़   लेकिन तमाम दूसरे खिलाड़ियों के रसूख के बावजूद .. मेजर ध्यानचंद का कोई सानी नहीं ।... जिनके स्वर्णिम युग को आज भी ओलंपिक सलाम करता है .. हमारे दद्दा के रुतबे का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है ... कि गुलाम होने के बावजूद दद्दा का अंग्रेज़ों के जहन में इतना खौफ था कि .. कि 1936 बर्लिन ओलंपिक्स में अंग्रेज़ों ने दद्दा के डर से अपनी टीम ही नहीं उतारी --------------------------------------------------------------------------------------  हॉकी के गॉड मेजर ध्यानचंद की हॉकी की कलाकारी के जितने किस्से हैं उतने शायद ही दुनिया के किसी ओर खिलाड़ी के बारे सुने गए हों। आइए एक नजर डालते है हॉक की जादूगर ध्यानचंद से जुड़े ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्सों पर।   कैसे जुड़ा नाम में चंद   16 साल की उम्र में फौज में भर्ती होने के बाद...ध्यानचंद अपनी हॉकी की ज्यादातर प्रैक्टिस रात के वक्त करते...उस जामने में  FLOOD LIGHT की वयवस्था नहीं थी... ऐसे में वो हर रात  चांद के निकलने के लिए प्राधना करते...जिसके उनके साथियों नें उनके नाम के साथ चांद या कहे चंद लगाना शुरू कर दिया...   रेल की पटरी पर चढ़ा खेल परवान   कहां जाता है की ध्यानचंद रेल की बेहद पतली पटरी पर गेंद को रख..काफी दूर के इसे अपने स्टिक के साथ ले जाते...ये इतनी पतली पटरी पर प्रैक्टिस की ही देन.. थी कि वो आगे चल कर हॉकी के सबसे बड़े जादूगर बन गए।   कई बार हुई जादुई स्टिक की जांच   खेल के दौरान गेंद इस कदर ध्यानचंद की स्टिक से चिपकी रहती कि विरोधी खिलाड़ियों को अक्सर लगता की वो जादुई स्टिक से खेल रहे हैं। यहां तक की हॉलैंड में उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई। जापान में  उनकी हॉकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात कही गई..लेकिन हर बार लोगों की ये बाते गलत साबित हुई।   हिटलर भी थे हॉकी के गॉड के मुरीद   ध्यानचंद एक ऐसी हस्ती थे जिनके आगे दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर भी नतमस्तक हो गया था...ध्यानचंद की खेल की प्रतिभा को देखकर हिटलर उनके सामने जर्मनी की सेना में बड़े पद पर शामिल हो कर जर्मनी के लिए खेलने का  प्रस्ताव रख दिया..लेकिन ध्यानचंद ने विनम्रता से हिटलर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया..इतना ही नहीं इसके बाद हिटलर ने ध्यानचंद की हॉकी स्टिक खरीदने की भी मांग की थी जिसके लिए वो मुंहमांगे दाम देने को तैयार थे।   क्रिकेट के डॉन भी ध्यानचंद के कायल ध्यानचंद ने अपनी करिश्माई हॉकी से जर्मन तानाशाह हिटलर ही नहीं बल्कि महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन को भी अपना क़ायल बना दिया था...अपने-अपने फन में माहिर ये दोनों खेल हस्तियाँ केवल एक बार एक-दूसरे से मिले थे। ब्रैडमैन ने तब हॉकी के जादूगर का खेल देखने के बाद कहा था कि वे इस तरह से गोल करते हैं.. जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं।    SPORTS DESK, LIVE INDIA   --------------------------------------------------------------------------------------- आज भारत में खेल का मतलब क्रिकेट और क्रिकेट का मतलब सचिन तेंदुलकर है...लेकिन एख वक्त था जब हिंदुस्तान का मतलब हॉकी और हॉकी का मतलब जादूगर ध्यानचंद हुआ करता था ...दुनिया भर में हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर महान हॉकी मेजर ध्यानचंद सिंह ने अपने हॉकी के कौशल से पूरी दुनिया को अपना कायल बना लिया था..अपने  करियर में  एक हजार से ज्यादा गोल करने का कारनामा करने वाले ध्यानचंद को कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.. आज भारत रत्न को छोड दिया जाए तो कोई ऐसा अवॉर्ड नहीं है जो ध्यानचंद के खाते में ना हो.. साल 1956 में ध्यानचंद को पद्म भूषण के सम्मान से सम्मानित किया गया...    मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को... भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है...    इतना ही नहीं ध्यानचंद के जन्मदिवस के मौके पर ही भारत सरकार खेलों की दुनिया में शानदार प्रदर्शन करने वालों को राष्ट्रीय पुरस्कार.... अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित करती है...    भारतीय ओलम्पिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी घोषित किया था।   भारत का सबसे बड़ा LIFETIME ACHIVEMENT अवॉर्ड ध्यानचंद ऑवर्ड हॉकी के जादूगर के नाम पर ही रखा गया है...जो उन RETIRED खिलाड़ियों को दिया जाता है जिन्होनें खेल से संन्यास लेने के बाद भी खेल के सुधारने में अपना योदगान देते रहते हैं ...   दिल्ली में नेशनल स्टेडियम का नाम बदल कर साल 2002 में ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम रखा गया ।   इतना ही नहीं भारत सरकार ने ध्यानचंद के सम्मान में उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया  है ।   भारत के अलावा दुनिया के अनेक दिग्गजों ने भी ध्यानचंद की प्रतिभा का लोहा माना ...मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के जरिए हिंदुस्तान का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया .....जिसे आने वाले कई सदियों तक याद रखा जाएगा। -------------------------------------------------------------------------------------- अपनी हॉकी की जादूगरी से एक जमाने में भारत के गौरवांवित करने वाले ध्यानचंद को सज़दा करने का वक्त आ गया है  .. वक्त आ गया है .. जब भारत अपने इस सबसे बड़े रत्न हो .. भारत रत्न से सम्मानित करें ... जिसके लिए आखिरकार खेल मंत्रालय ने भी आदिकारिक रूप से हरी झंडी देते हुए .. दद्दा के नाम के सिफारिश प्रधानमंत्री को भेज़ दी है ...  साल 2011 में हुई थी पहल  खेल मंत्रालय ने इस बार मेजर ध्यान चंद का नाम ज़रूर भेजा है...लेकिन दद्दा को बारत रत्न मिले ये मांग दिसंबर 2011 से ही उठने लगी थी .. जब उस वक्त के खेल मंत्री अजय माकन की पहल पर बकायदा  82 सासंदों ने ध्यानचंद के लिए वकालत करते हुए ... हॉकी के जदूगर को ये सम्मान देने की मांग की थी ... जिसके बाद जनवरी 2012 में खेल मंत्रायल ने ध्यानचंद के साथ ..शूटर अभिनव बिंद्रा...और पर्वतारोही ...तेंजिंग नॉर्गे ...का नाम भेजा था ...लेकिन सचिन का नाम उस वक्त भी नदारद था .. क्योंकि BCCI ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई ही नहीं थी ..   सचिन पर भारी दद्दा की हॉकी   हालांकि इस बार भी भारत रत्न पर दद्दा के नाम को लेकर मुहर युं ही नहीं लगाई गई .. क्योकि लगातार सचिन के नाम लेकर भी बहस छिड़ी हुई थी कि आखिरी किसे पहले भारत के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान  से नावाजा जाए .. लिहाजा खेल मंत्रालय ने बाकायदों 12 जुलाई को एक मीटिंग बुलाई .. जिसमें दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया ...  मेजर ध्यान चंद के लिए अगुवाई की ...उनके बेटे ... अशोक कुमार ने जिनका दावा था .. कि वो दद्दा के केल का असर था जिसके चलते ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हॉकी को पहचान मिली ... वो मेजर ध्यान चंद का जलवा था कि  देश ने ओलंपिक में अपना स्वर्णिम युग जिया ... जिसमें 1928, 1932, 1936 ओलंपिक के दौरान ... जो पदक भारत ने जीते उसमें ... ध्यान चंद की जादूई हॉकी का अहम रोल रहा ... जिसके बाद  खेल मंत्रीं ने ये भरोसा दिलाया कि वो मेजर साहब का नाम ही भारत रथ्न के लिए प्रधानमंत्री को भेजेंगे .. जबिक सचिन के नाम को लेकर ये माना गया .. कि सचिन अभी भी एक्टिव प्लेयर हैं ..और उनके पास आगे भी इस सम्मान को हालांकि का मौका बना रहेगा ... ----------------------------------------------------------------------------------------  ताउम्र हॉकी में धमाल मचाने के बाद दुनिया में ना सिर्फ अपना बल्कि भारत का नाम रौशन करने के बाद साल 1948 में भारत के इस जादु हॉकी खिलाड़ी के रुतबे का सूरज ढलने लगा ...क्योंकि अब बक्त था .. अलविदा का ... अब वक्त था उस विदाई का जिसे दुनिया भर के हॉकी प्रेमियों ने देश की सीमाओं से परे निकल कर जिया .. दद्दा अब संन्यास लेने वाले थे ...साल 1948 में जब भारतीय हॉकी टीम ईस्ट अफ्रीका के दौरे पर थी .. तभी हॉकी इस जादूगर ने हॉकी को अलविदा कहने का मन बना लिया .. अफ्रीकी दौरे  वापस लौट मेजर ध्यानचंद ने सीरियस हॉकी से खुद को अलग कर लिया ... इसके बाद वो कभी कभार ही किसी अग्ज़ीबीशन या दौस्ताना मैच में देखे जाते थे ... ये वो दौर था .. जब ध्यानचंद अपने चाहे वाले से हॉकी के मौदान दूर हो रहे थे ... मेजर ध्यान चंद ने आखिरी के दिनों में रेस्टऑफ इंडिया की अगुवाई करते हुए ... भारत की 1948 ओलंपिक टीम के किलाफ अपना मुकाबला .. जिसे चांद की टीम तो गवां बैठी .. लेकिन 48 वर्षिय मेजर यहां भी अपनी टीम के लिए इकलौता करने वाले खिलाड़ी थे ... इसके बाद मेजर ध्यान चंद ने आकिरी बार ... बंगाल के खिलाफ मैदान में हॉकी लेकर उतरे .. जहां ..इस लिजेंड के सम्मान के साथ विदा दी गई ...इसके बाद साल 1956 में ध्यानचंद ने आर्मी से मेजर की पोस्ट के साथ रिटायर हुए ....जिसके बाद भारत सरकार इसी साल उन्हें .. देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदम भूषण से उन्हें सम्मानित किया ... इसके बाद अपने हुनर से और ध्यानचंद पैदा करने के इरादे से ... मेजर ने कोचिंग की दुनिया रुख किया ...और कुछ साल चीफ कोच के तौर पर NIS पटियाला में भी बिताया ...जिसके बाद मेजर ध्यान चंद अपनी ज़िदगी के आखिरी दिनों में अपने शहर झांसी वापस लौट गए ..और 3 दिसंबर 1979 को वो दिन भी आ गया .. जब हॉरकी के इस जादुगर ने दुनिया को अलविदा कह दिया ... उस जादुगर ने जिसकी जादुगीरी आज भा भारत को नाज है ..आज बी .. खुद हॉकी को नांज़ है ... मेजर नहीं रहे .. तो धीरे धीरे ... हॉकी भी मानों मरने सी .. इसकी हुकमारानों मेजर की विरासत का ना जाने कैसा ख्याल रखा .. कि ओलंपिक में 8-8 स्वर्ण पदक जीतने वाली मेजर की टीम साल 2008 में ओलंपिक के लिए क्वालिफा तक ना कर सकी ...और जब 2012 लंदन ओलंपिक में क्वालिफाई भी तो .. आखिरी पायदान पर रहे ... आलम ये है.. कि ध्यान चंद को लेकर हॉकी को गर्व था .. आज वहीं हॉकी ... भारत के प्रदर्शन से शर्मसार है।

रविवार, 28 अप्रैल 2013

मास्टर से महान माही !


27 APRIL 2013 वर्ल्ड क्रिकेट में कामयाबियों की मिसाल बन चुके सचिन तेंदुलकर औऱ महेन्द्र सिंह धोनी की तुलना तो आए दिन होती रहती है ... लेकिन अगर कोई ये कहे कि धोनी सिर्फ सचिन से ही नहीं बल्कि ... इतने महान हैं जितना 21वीं शताब्दी में किसी भी खेल का कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं तो आप क्या कहेंगे ? जी हां सचिन औऱ धोनी की इसी महानता की इसी बहस एक बार फिर शुरू हो गई है ... आपके सामने रखेंगे वो आंकड़ें जो कभी सचिन को ... तो कभी धोनी को बताते हैं महान। क्रिकेट की पिच से दूर एडवर्ल्ड के में भी सचिन नहीं बल्कि धोनी को कहा जाता है जेंटलमैन का पारस पत्थर। -------------------------------------------------------------------------------------------------- DHONI THE MICHAEL JORDAN OF 21ST CENTURY वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में शुमार हो चुके सचिन तेंदुलकर ... और महेन्द्र सिंह धोनी के खेल के बारे में तो अक्सर तुलनाएं देखने को मिलती रही हैं । लेकिन मौजूदा वक्त में जिस बात का ज़िक्र होने से ... एक नई बहस का जन्म हो गया है वो ये है कि क्या धोनी इतने महान हैं ... कि उन्हें ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि खेलों की ही दुनिया के ऑलटाइम ग्रेट कहे जाने वाले अमेरिकी बॉस्केटबाल लेंजेंड माइकल जॉर्डन के जितना महान मान लिया जाए। जी हां ... अक्सर भारतीय खिलाड़ियों की खामियां निकालने के लिए जानी जाने वाली ब्रिटिश मीडिया अब धोनी की इतनी मुरीद हो गई है कि उसने ... माही को 21वीं सदी का सबसे महानतम खिलाड़ी घोषित कर दिया है। ब्रिटिश अखबार ... The Telegraph ने धोनी की तुलना 20वीं सदी के सबसे महान खिलाड़ी माइकल जॉर्डन से की है। अखबार के मुताबिक जैसे धोनी मुश्किल से मुश्किल परिस्थिती में भी अपना धैर्य रखते हुए टीम को जीत दिला देते हैं ... कुछ वैसा ही 80 और 90 के दशक में माइकल जॉर्डन भी NBA की अपनी बॉक्सेटबॉल टीम शिकागो बुल्स के लिए किया करते थे। अखबार के मुताबिक धोनी ने बार-बार इस बात को साबित भी किया है ... फिर चाहे बात इंटरनेशनल क्रिकेट की हो जहां उन्होंने टीम इंडिया को कई मौकों पर जीत दिलाई ... या Indian Premier League की जहां वो अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स की सबसे मज़बूत कड़ी बन चुके हैं। अखबार में IPL-6 में खेले गए चेन्नई के पिछले मैच का भी ज़िक्र है ... जहां धोनी की तारीफ करते हुए ये भी लिखा गया है ... कि कैसे हैदराबाद के खिलाफ अंतिम 4 ओवरों में 46 रनों की दरकार के बावजूद ... धोनी ने अपना धैर्य नहीं खोया। और जीत के लिए ज़रूरी 46 में से 41 रन महज 12 गेंदों में बना दिए। शायद यही वजह है कि धोनी को भी उनकी काबिलियत की वजह से ... कैप्टन कूल कहा जाता है। लेकिन महानता की बहस में उनकी तुलना ऑलटाइम ग्रेट में किया जाना यकीनन वो उपलब्धि है ... जिसका सिर्फ ज़िक्र होना भी बड़ी बात है। ---------------------------------------------------------------------------------- COMPARISON OF SACHIN N DHONI ONFIELD STATS एक का बल्ला करता हैं ब्लास्ट ... तो दूसरे के बल्ले से निकलती हैं आग । एक है शतकों का शहंशाह तो दूसरा है गेंदबाजों के लिए काल ... जी हां टीम इंडिया के दो सबसे धुंरधर बल्लेबाजों सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी के बारे में आज जेंटलमैन गेम के जानकार सिर्फ यही कहते हैं। हकीकत तो यही है कि इन दोनों के बल्ले ... जब बेखौफ होकर आक्रमण करते हैं तो दुनिया का बड़े से बड़ा गेंदबाज भी बौना नजर आता है। बतौर कोई शक नहीं कि बतौर कप्तान धोनी ना सिर्फ टीम इंडिया बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट की किसी भी टीम के कप्तान से ज़्यादा कामयाब हैं ... लेकिन अगर बात अकेले बल्लेबाज़ी के आंकड़ों की होगी तो ... बात चाहे मैचों की हो, रनों की, शतकों या अर्धशतकों की ... इंटरनेश्नल क्रिकेट की पिच पर करीब ढाई दशक या 24 साल बिता चुके सचिन ... धोनी से कही आगे खड़े नज़र आते हैं। करियर में 198 टेस्ट खेल चुके सचिन ने 53.86 की औसत से रिकॉर्ड 15837 रन बनाए हैं। जिसमें 51 शतक और 67 अर्धशतक शामिल हैं । वहीं बात करें धोनी की तो 8 साल के अपने करियर में खेले 77 मैचों में माही करीब 40 की औसत से सिर्फ 4209 रन बना पाए हैं। इसमें 6 शतक और 28 अर्धशतक शामिल हैं। इसी तरह वनडे क्रिकेट में भी जहां सचिन ने किसी भी दूसरे बल्लेबाज़ से ज्यादा लंबे करियर में 463 मैचों में 44.83 की औसत से सबसे ज़्यादा 18426 रन बनाए हैं... इसमें भी सचिन के नाम 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं धोनी की बात करे तो धोनी ने टीम इंडिया की ब्लू जर्सी में खेलते हुए अब तक 219 मैचों में 51.85 की औसत से 7259 रन बनाए हैं ... जिसमें 8 शतक और 48 अर्धशतक शामिल हैं इसी तरह करियर की अन्य कामयाबियों में सचिन की एक और उपलब्धि उन्हें मिले मैन ऑफ द मैच हैं ... जहां मास्टर ब्लास्टर धोनी से आगे नज़र आते हैं। अपने क्रिकेट करियर में सचिन को 62 बार वन-डे जबकि 14 बार टेस्ट मैचों में मैन ऑफ द मैच का खिताब मिल चुका है ... जबकि मैन ऑफ द सीरीज़ खिताब से वो 5 बार नवाज़े जा चुके हैं। GFX जबकि धोनी को करियर में 18 बार वन-डे और सिर्फ 2 बार टेस्ट क्रिकेट में मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला है। हालांकि धोनी मैन ऑफ द सीरीज़ के खिताब से 6 बार नवाज़े जा चुके हैं ... लेकिन ये सभी मौके वन-डे फॉर्मेट में ही देखने को मिले। साफ है रिकॉर्ड्स के मामले में सचिन फिलहाल धोनी से कहीं आगे हैं ... लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिस रफ्तार से माही की कामयाबियों का ग्राफ बढ़ रहा है वो अपना करियर खत्म होते-होते शायद इस फासले को कम ज़रूर कर देंगे। ------------------------------------------------------------------------------------ DHONI BETTER FINISHER THAN SACHIN एक है शतकों का शहंशाह तो दूसरा है मैच जिताने में महारथी एक नाम दर्ज हैं ...एक दो नहीं पूरे सौ शतक... तो दूसरे ने दिलाया ... इतिहासिक वर्ल्डकप.... जी हां ...आज माही अगर मास्टर की महानता को ललकारते नज़र आ रहे हैं ..तो उसमें धोनी की वो अदम्य शाहस भी शामिल है..जहां उन्होंने टीम इंडिया को एक दो नहीं बल्कि की बार मैच जिताए ... जबकि इसके उलट सचिन ने टीम इंडिया के शतकों का शतक तो पूरा किया ... लेकिन बेस्ट मैच फिनिशर का तमगा आज भी धोनी के नाम है ... ... मैच कहां फंसा है ..उसे फिनिसिंग टच कैसे देना है ... कैसे टीम इंडिया के सरताज़ बनाना है ...धोनी इसमें माहिर हैं ... ... जिसकी सबसे बड़ी मिसाल वो इतिहासिक वर्ल्डकप फाइनल है.. जहां बैक फुट पर नज़र आ रही टीम इंडिया को हाई प्रेशर गेम में धोनी ने 91 रनों की नाबाद पारी के साथ कुछ इस अंदाज़ में चैंपियन बनाया ... RELIEF जबकि सचिन मुहाने पर की बार फसते ही दिखे हैं यकीन ना हो तो ये आंकड़े देखिए सचिन ने अपने 23 साल लंबे करियर में टीम इंडिया के लिए 463 वनडे मुकाबले खेले हैं ..जिसमें से टीम इंडिया 200 मौकों पर हार का सामना करना पड़ा है ... जिसमें से 49 शतक लगाने वाले सचिन 14 मौकों पर शतकीय पारी खेलने के बावजूद टीम इंडिया का हार नहीं टाल सके हैं जबकि दूसरी ओर धोनी के धमाके का असर ये हैं ...219 वनडे मुकाबलों में माही 79 बार नाबाद लौटे हैं ..जिसमें से 62 बार वो टीम इंडिया को जीत दिलाने में कामयाब हुए हैं ..जबकि वो सिर्फ 6 बार ऐसा करने से चूके हैं इतना ही नहीं मैच जिताने के मामले में सचिन धोनी से पीछे हैं ही ...लेकिन खुद के लिए खेलने का सवाल भी सचिन पर हमेसा उठते रहे हैं ..जहां जानकारों के मुताबिक अपने सौवें शतक के लिए सचिन इतना धीमा खेले ..कि टीम इंडिया को बांग्लादेश के खिलाफ भी मैच गवांना पड़ गया साफ है ... इस मुहाने पर भी माही से मास्टर के सामने महान नज़र आते हैं... क्योंकि अगर मैच फंसा हो ..और रन रेट की दरकार 10 से उपर की भी हो ...तो आज के युवा की मांग मास्टर नहीं माही हैं। ------------------------------------------------------------------------------------ DHONI THE PROVEN LEADER SACHIN THE FAILURE ... ट्वेंटी-20 वर्ल्डकप, टेस्ट क्रिकेट की नंबर-1 की कुर्सी औऱ फिर वन-डे वर्ल्डकप ... महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को हासिल हुई ये वो उपलब्धियां हैं ... जिनकी बदौलत भारतीय क्रिकेट के फैन्स को बादशाहत का जश्न मनाने का मौका तीन-तीन बार मिला । अपने कभी ना हार मानने वाले जज़्बे और धैर्य के साथ टीम को मुश्किल से मुश्किल हालात से उबारना धोनी को बखूबी आता है ... फिर बात चाहे इंटरनेशनल क्रिकेट की हो ... या फिर IPL जैसी घरेलू फटाफट क्रिकेट की लीग की। माही की कप्तानी के मुरीदों की कमी नहीं ... धोनी के फैन्स तो यहां तक कहते हैं कि अगर उनका कैप्टन कूल क्रीज़ पर मौजूद है तो हर अनहोनी ... धोनी के रहते होनी बन जाती है। धोनी आज भारत के सबसे सफल कप्तान हैं ... धोनी की कप्तानी में अब तक टीम इंडिया खेले कुल 47 टेस्ट खेले हैं ... जिनमें से टीम इंडिया को 24 में जीत और सिर्फ 12 में हार मिली है। इसी तरह वन-डे क्रिकेट में भी धोनी ने बतौर कप्तान टीम को ... 135 मैचों में से 77 जीत दिलाई हैं। इनमें से 47 मैचों में टीम को हार मिली है ... 3 मैच टाई रहे जबकि 8 मैच बेनतीजा रहे। वहीं सचिन तेंदुलकर भले ही बतौर क्रिकेट के ऑलटाइम ग्रेट्स में शुमार माने जाते रहे हों ... लेकिन बतौर कप्तान उनमें कभी भी आत्म विश्वास नज़र नहीं आया। बल्कि हालात तो ऐसे रहे कि कप्तानी के दबाव में ... उनका खुद के खेल पर असर पड़ने लगा था। जिससे बचने के लिए उन्होंने टीम की कप्तानी खुद ही छोड़ भी दी थी ... बल्लेबाज़ी में रिकॉर्ड्स के शिखर पर बैठे सचिन बतौर कप्तान टीम इंडिया को 25 टेस्ट में से सिर्फ 4 में ही जीत दिला सके ... जबकि 9 में उन्हें हार मिली। इसी तरह वन-डे क्रिकेट में भी टीम को बतौर कप्तान 73 में से सिर्फ 23 मैचों में जीत दिला सके ... जबकि 6 मैच टाई रहे ... इसमें भी एक मैच बेनतीजा रहा था। ... दूसरी तरफ धोनी की कप्तानी की खास बात ये है कि ज़िम्मेदारी के साथ उनके खेल में और भी निखार आ गया है ... टेस्ट, वन-डे औऱ ट्वेंटी-20 हर फॉर्मेंट में धोनी ... टीम में अलग-अलग मोर्चे पर ऐसा आत्मविश्वास भर चुके हैं । IPL में भी धोनी की कप्तानी का जलवा खूब बोलता है जहां वो अपनी टीम को लीग के खेले पिछले हर सीज़न में टॉप-4 में पहुंचाने के अलावा ... 2 बार खिताब भी जिता चुके हैं। आज धोनी वर्ल्ड क्रिकेट के इकलौते ऐसे कप्तान हैं ... जिनके नाम क्रिकेट के हर फॉर्मेट में अपनी टीम को ना सिर्फ जीत दिलाने बल्कि चैंपियन बनाने की उपलब्धि भी दर्ज हो चुकी है। ज़ाहिर तौर पर बतौर कप्तान धोनी वो शक्सियत हैं जिस जैसी दूसरी मिसाल वर्ल्ड क्रिकेट में ढूंढने से भी नहीं मिलेगी। ------------------------------------------------------------------------------------ DHONI BIGGER BRAND THAN SACHIN महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंदुलकर सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट की पिच के भी ... सबसे कामयाब चेहरे हैं। इनकी शख्सियत का पूरी दुनिया सजदा करती हैं ... । यही वजह है कि क्रिकेट की पिच पर प्रदर्शन की बदौलत ... इन दोनों पर शौहरत औऱ कामयाबी की भी अच्छी खासी बारिश होती है। हालांकि फर्क सिर्फ इतना है कि यहां हालिया बरसों में धोनी ... सचिन से काफी आगे निकल गए सचिन रमेश तेंदुलकर औऱ महेन्द्र सिंह धोनी ... जेंटलमैन गेम क्रिकेट के इन दो सितारों के बारे में क्या कहा जाए। अगर 23 साल से जारी अपने बेमिसाल करियर के दम पर ... सचिन वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे बड़े नाम हैं ... तो दूसरी तरफ महज़ साढे 8 साल के क्रिकेट करियर ... औऱ 5 साल की कप्तानी के करियर के दम पर महेन्द्र सिंह धोनी हैं ... जिन्हें दुनिया जेंटलमैन गेम का सबसे शातिर कप्तान मानने लगी है। रिकॉर्ड्स औऱ उपलब्धियों के मंच पर भले ही दोनों की तुलना ना हो सके ... लेकिन अगर बात बड़े ब्रांड की होगी ... तो कहा जा सकता है कि धोनी सचिन से एक-तिहाई करियर होने के बावजूद मास्टर से बड़े बड़े ब्रांड बन चुके हैं। पिछले कुछ बरसों में 22 गज की पिच पर बतौर कप्तान और बल्लेबाज़ मिली बेशुमार कामायाबी से धोनी एड वर्ल्ड का नए किंग बन चुके हैं। धोनी आज बाज़ार के वो पारस पत्थर हैं ... जिसके छूते ही चीज सोना बन जाती है। और इस बात की तसदीक ब्रांड एक्सपर्ट, मीडिया analyst और स्पोर्ट्स मार्केटिंग एजेंसियों के आंकड़े भी साफ-साफ करते हैं। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक धोनी की मौजूदा ब्रांड वेल्यू 300-350 करोड़ रुपयों से भी ज़्यादा की है ... जबकि 40 के हो चुके सचिन की ब्रैंड वेल्यू 150-200 करोड़ रूपयों की है। धोनी फिलहाल 24 ब्रांड्स को एंडोर्स कर रहे हैं ... जबकि सचिन का नाम 17 ब्रांड्स के साथ जुड़ा हुआ है। मौजूदा वक्त में धोनी एक ब्रांड को प्रमोट करने के सालाना 10 से 12 करोड़ रुपये लेते हैं ... तो दूसरी तरफ सचिन एक ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए सालाना 7 से 9 करोड़ रूपए लेते हैं इतना ही नहीं एड वर्ल्ड से होने वाली कमाई के मामले में भी धोनी सचिन से मीलों आगे हैं। इस कमाई के नाम पर जहां धोनी ने पिछले साल 128 करोड़ रूपयों की कमाई की ... तो वहीं सचिन ने सिर्फ 70 करोड़ रूपए ही कमाए। मतलब साफ है कि धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को मिली कामयाबियों ने ... माही के सेलीब्रिटी STATUS और ब्रांड वेल्यू दोनों को ब्रांड सचिन से मीलों आगे पहुंचा दिया है। जिससे फिलहाल तो कोई औऱ टक्कर देता नज़र नहीं आ रहा। --------------------------------------------------------------------------------- COMPARISON OF ACHIEVEMENTS BETWEEN SACHIN N DHONI सवाल है कि धोनी के धमाके की गूंज ज्यादा है या फिर मास्टर के ब्लास्ट की ... जबाव ढूंढना यकीनन आसान भी नहीं है। क्योंकि एक ने जहां 23 साल से भी ज़्यादा अरसे से वर्ल्ड क्रिकेट पर राज किया है ... तो दूसरे ने भी मौजूदा वक्त के सिर्फ 8 साल के करियर में वो मुकाम हासिल किया जिसे दुनिया सलाम करती है। सचिन औऱ धोनी दोनों की ही ज़िंदगी से जुड़ी कुछ और उपलब्धियों पर जब आप नजर डालेंगे तो आपको खुद ब खुद पता चल जाएगा कि महान कौन है सचिन महान हैं ..इसमें कोई शक नहीं ....लेकिन महानता कि इस मिसाल में आज जमाना धोनी का है .... आज सचिन के रिकॉर्ड्स की फैंस दाद देते है ... तो धोनी का धमाका उन्हें झूमने पर मज़बूर कर देता है ..और शायद यही वजह है कि वर्ल्ड क्रिकेट के इतिहास में सचिन ने मैदान के बाहर जो कुछ 23 सालों के लंबे करियर में हासिल किया...उतना तो नहीं लेकिन काफी हद तक उसे धोनी ने ...महज़ 8 साल में अपने नाम करवा लिया ... बात ICC के दुनिया के दबंग ODI खिलाड़ियों की फेहरिस्त में जगह बनाने की हो ... या ICC PLAYER OF THE YEAR बनने की माही आज हर जगह मास्टर को टक्कर देते हैं ... सचिन को तीन बार ICC World ODI XI में (2004, 2007, 2010) तो धोनी को चार मौकों पर ICC World ODI XI में (2008, 2009, 2010, 2011) में शामिल किया गया है सचिन को अगर वायूसेना में ग्रुप कैप्टन की उपाधी से नवाज़ा गया तो धोनी भी टेरेटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की ऑन्रेरी रैंक से सम्मानित हुए सचिन को साल 1997 में विज़डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया तो धोनी को दो बार (2008, 2009) ODI प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाज़ा गया सचिन के पास ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का सम्मान है ..तो धोनी को De Montfort University से डॉक्टरेट की उपाधी पा चुके हैं बात सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न की करें ..तो सचिन को ये सम्मान लेने में जहां 6 साल लग गए ... तो धोनी ने अपने इंटरनेशनल करियर के तीसरे साल में ही इस पर कब्जा कर लिया हालांकि ....Padma Vibhushan....Padma Shri....Sir Garfield Sobers trophy...जैसे कुछ एक सम्मान के साथ सचिन ज़रूर धोनी से आगे खड़े नज़र आते हैं ... लेकिन दोनों के क्रिकेटिंग करियर के सालों के अंतर को देखे तो ...23 और 8 साल के बीच फासला साफ बताता है... कि धोनी के धमाके की गुंज का असर ..मास्टर के ब्लास्ट से कहीं ज्यादा है। रजनीश कुमार खेल पत्रकार

गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

कब मिलेगा सचिन को भारत रत्न ?


MA. पद्म विभुषण जिसे मिला... पद्मश्री से जिसको नवाज़ा गया... राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से... जिसको सम्मानित किया गया ... अपार कामयाबियों के लिए... जिसको दिया गया अर्जुन अवॉर्ड... उसे कब मिलेगा देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ... ? ... जी हां... बात सचिन की महानता की चली है... तो एक बार फिर ज़िक्र भारत रत्न का आ गया है... क्योंकि यही वो सम्मान है... जिससे सचिन अब तक महरूम है... दुनिया जानती है और मानती है कि सचिन देश के सबसे बड़े रत्न हैं... उन्होंने अपने शानदार खेल के दम पर पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का जो नाम रौशन किया है... वो शायद कोई दूसरे क्रिकेटर नहीं कर सका है... ऐसे में सवाल यही है कि सचिन को देश का ये सबसे बड़ा नागरिक सम्मान आखिर कब मिलेगा... हालांकि ऐसा नहीं है कि सचिन इस सम्मान के लायक नहीं हैं... बल्कि क्रिकेट के इस भगवान का पिछले 24 साल का बेमिसाल करियर लगातार ये मांग कर रहा है कि अगर कोई स्पोर्ट्स मैन भारत रत्न का सबसे बड़ा हकदार है... तो वो सिर्फ और सिर्फ सचिन तेंदुलकर हैं... और यही वजह है कि हिन्दुस्तान के कौने-कौने से एक बार नहीं बल्कि सैंकड़ों पार ये आवाज़ उठी है कि सचिन को भारतरत्न से नवाज़ा जाना चाहिए... क्या खास और क्या आम ... क्या बॉलीवुड की हस्तियां और क्या राजनेता... हर कोई चाहता है कि सचिन को देश का ये सबसे बड़ा नागरिक सम्मान अब दे देना चाहिए... USE CELEBRITIES BYTE ON SACHIN BYTE ... और तो और अब तो भारतरत्न और सचिन के बीच आने वाली वो दीवार भी गिर चुकी है... जो सचिन को भारतरत्न बनने से रोक रही थी... दरअसल भारतरत्न दिए जाने वालों में खेल और खिलाड़ी शामिल नहीं थे... लेकिन स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री की पहल के बाद ... इसके भी नियमों में बदलाव किया जा चुका है... यानि सारी अड़चने खत्म हो चुकी हैं... वैसे भी ऑस्ट्रेलिया जैसा मुल्क भी सचिन को अपने देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान यानि ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया देकर ये दिखा चुका है कि सचिन की शख्सियत क्या है... सचिन का क्रिकेट की दुनिया में क्या रूतबा है...ऐसे में भारत सरकार ... सचिन को भारत रत्न से नवाजती है... तो फिर सचिन और उनके फैंस के लिए उनके चालीसवें जन्मदिन पर इससे बड़ा तोहफा कोई और नहीं हो सकता।  

सच्चू से सचिन तेंदुलकर तक का सफर


  बच्पन ... शरारतों का वो दौर... जहां हर बच्चे को मस्ती सूझती है... लेकिन सच्चू के सचिन बनने की कहानी इसी बचपन से शुरू हुई ... सचिन एक आदर्श स्टुडेंट और एक आदर्श शिष्य की तरह अपने गुरू की हर बात मानते चले गए... हालांकि सचिन को उनका पहला गुरु उनके घर में ही यानि बड़े भाई के रुप में मिला... वो बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ही थे... जिन्होंने टेनिस प्लेयर बनने की चाहत रखने वाले सचिन को क्रिकेट से रूबरू कराया... शायद अजीत ने दूर कहीं आने वाले सचिन तेंदुलकर को... अपने इस भाई में देख लिया था... और यही वजह रही कि उन्होंने सचिन को ... क्रिकेट के उस द्रोणाचार्या से मिलवाया ... जिसके मार्ग दर्शन में सच्चू आज सचिन बने... और वो थे बॉम्बे के मशहूर क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर ... आचरेकर साहब पहली बार सचिन से मुंबई के शिवाजी पार्क में मिले... और उन्होंने सचिन के टैलेंट को पहचाना और सच्चू को सचिन बनाने की कामयाब कोशिशें शुरू कर दी... और यही से शुरू हुआ एक आदर्श शिष्य का क्रिकेटिंग करियर ... हालांकि सचिन के लिए सर रमाकांत आचरेकर से क्रिकेट की बारीकियां सीखना आसान नहीं था... क्योंकि जहां आचरेकर सचिन को कोचिंग दिया करते थे... वो क्रिकेट के इस भगवान के घर से दूर था... लिहाज़ा आचरेकर साहब ने सचिन को दादर के पास ही शरदआश्रम स्कूल में शिफ्ट करने की सलाह दी ... सचिन ने भी आदर्श शिष्य की तरह अपने गुरु की बात को माना और अपना दाखिला शरदआश्रम में करा लिया ... अब सचिन के सामने स्कूल और कोचिंग दोनों की जिम्मेदारियां थी... लिहाज़ा सचिन अर्ली मोर्गिंग प्रैक्टिस करके स्कूल जाते और फिर शाम को दोबारा प्रैक्टिस करने के लिए आ जाते... सचिन के बारे में कहा जाता है कि वो घंटों प्रैक्टिस किया करते थे... आचरेकर को भी सचिन को प्रैक्टिस करवाने में बड़ा मज़ा आता था... सचिन जब प्रैक्टिस करके थक जाते थे... तो आचरेकर साहब विकेट पर एक एक रुपये का सिक्का रखते... और गेंदबाज़ से कहते कि जो इस सिक्के को गिराएगा ... सिक्का उसी का हो जाएगा... लेकिन वो नौबत कभी नहीं आई ... क्योंकि पूरे सेशन तक कोई भी गेंदबाज सचिन को आउट नहीं कर पाता था... लिहाज़ा एक रुपये का सिक्का ज्यादातर मौकों पर सचिन का ही हो जाता था...आज भी सचिन के पास अपने गुरू के दिए 13 सिक्के मौजूद हैं... इतना ही महान सचिन तेंदुलकर बनने के बाद भी जब कभी भी सचिन अपने गुरू आचरेकर से मिलते हैं... तो एक आदर्श शिष्य बनकर ही मिलते हैं।  

युवओं को प्रेरित करते हैं सचिन तेंदुलकर


ख्वाहिशें जब परवान चढ़ती हैं... तो सचिन तेंदुलकर का चेहरा सामने आता है... तमन्नाएं जब जवां होती हैं... तो सचिन का खेल रास्ता दिखाता है ... नाकामियों से जब वास्ता पड़ता है... तो सचिन का करियर सहारा देता है... जी हां... सचिन के बेमिसाल 24 साल के करियर को अगर हकीकत के आइने में उतारा जाए... तो कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आती हैं... क्योंकि सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की दुनिया का वो कोहिनूर हीरा हैं... जिसकी चमक से ना जाने कितने बैट और गेंद पकड़ने वाले नौसिखिए खिलाड़ी ... क्रिकेटर बन चुके हैं... सचिन को आदर्श मानकर ... सैकड़ों क्रिकेटर्स ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपना मुकाम हासिल किया है... और जिसकी मिसाल मौजूदा टीम इंडिया में ही दी जा सकती है... सचिन का 24 साल का क्रिकेटिंग करियर इस बात का गवाह है कि सचिन से एक नहीं दो नहीं ... बल्कि तीन तीन पीढ़ियां ...क्रिकेट की बारीकियां सीखीं हैं...कपिल देव से लेकर मौजूदा कप्तान धोनी की टीम में कई ऐसे युवा क्रिकेटर्स आए ... जिन्होंने सचिन को अपना आदर्श मानकर क्रिकेट सीखा और साथ में खेला... और यही वजह है कि जब उन क्रिकेटर्स का ड्रेसिंग रूम में सचिन से सामना होता है ... तो उनकी की भी खुशी का ठिकाना नहीं रहता ... उन्हें विश्वास नहीं होता कि जो क्रिकेटर उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहा... वो उसी के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर कर रहे हैं...... सचिन के साथ खेलने की ये कहानी सिर्फ भारतीय युवा क्रिकेटर्स की ही नहीं होती है... बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट के ऐसे सैकड़ों क्रिकेटर हैं... जिनका सपना ... भारतीय क्रिकेट का ये भगवान पूरा करता है... क्योंकि हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर जब भी कोई विदेशी टीम खेलने आती है... तो उनके युवा बल्लेबाज़ों की ख्वाहिश सचिन जैसा ही बनने की होती है... बल्लेबाज़ तो बल्लेबाज़ वर्ल्ड क्रिकेट में ऐसे गेंदबाज़ों की भी कमी नहीं होती ... जो सचिन का विकेट हासिल करके खुद को धन्य समझते हैं... हालांकि इसे सचिन की कमज़ोरी कहें या फिर कुछ और ... अक्सर सचिन भी ऐसे युवा गेंदबाज़ों को अपना विकेट थमा देते हैं ... जो इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू कर रहे होते हैं... लेकिन हकीकत यही है कि सचिन की इस नाकामी में भी ... विदेशी क्रिकेटर्स के सपने सच होते हैं...