sportskhabar.blogspot.in

sportskhabar.blogspot.in
खेल से खेल तक

गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

सचिन तेंदुलकर...एक कामयाब क्रिकेटर


  सचिन तेंदुलकर... ये नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं।  लेकिन 23 साल पहले जब 1989 में टीम इंडिया के पाकिस्तान दौरे पर ... महज़ 16 साल की छोटी सी उम्र के सचिन को टीम इंडिया में जगह मिली थी ... तो शायद ही किसी ने ये सोचा था कि भविष्य में जेंटलमैन गेम को यही छोटा सा बच्चा ... ना सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में एक नई परिभाषा और पहचान दे देगा। हकीकत तो ये है कि आज क्रिकेट की पहचान सचिन से है ... इंटरनेशनल क्रिकेट में करीब 24 साल से जारी सचिन का सफर आज भी पहले की तरह जारी है ... अपने जज़्बे और बल्ले से प्रदर्शन से क्रिकेट की सबसे बड़ी मिसाल बन चुके सचिन को ... हाथ में बल्ला थमाने के असली श्रेय उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर को जाता है। मुंबई के शारदाआश्रम विद्यामंदिर में पढ़ाई के दौरान जो सचिन ने ... अपने कोच रमाकांत अचरेकर से क्रिकेट के गुर सीखे ... वो आज रिकॉर्ड बुक्स में असंख्य आंकड़ों के साथ मील का पत्थर बन चुके हैं। हालांकि शुरूआत में सचिन तेज़ गेंदबाज़ बनना चाहते थे ... औऱ इसी के गुर सीखने के लिए वो एमआरएफ़ पेस फ़ाउंडेशन भी गए। लेकिन डेनिस लिली की सलाह पर उन्होंने गेंदबाज़ी छोड़कर ... अपना ध्यान बल्लेबाज़ी पर दिया। इसी के बाद रमाकांत अचरेकर की देखरेख में सचिन की बल्लेबाज़ी फली-फूली । आचरेकर का विकेट पर 1 रूपए का सिक्का रखकर ... नेट्स में गेंदबाज़ों को सचिन को आउट करने का चैलेंज देना ... औऱ हर बार नॉट-ऑउट रहने पर सचिन का लगातार 13 सिक्के जीतना ... क्रिकेट के भगवान की ज़िंदगी से जुड़ी ऐसी कहानी है जो देश का बच्चा-बच्चा जानता है। सचिन की ज़िंदगी की एक और कहानी भी साल 1988 में देश भर में सुर्खियां बटोरने की वजह बन गई थी। इस दौरान लॉर्ड हैरिस शील्ड इंटर स्कूल मैच में GFX सचिन ने विनोद कांबली के साथ मिलकर ...664 रनों की नाबाद पार्टनरशिप की ... जो दशकों तक अजेय रिकॉर्ड रही। हालांकि अपने पहले ही टेस्ट में सचिन सिर्फ़ 15 रन बनाकर ... वक़ार यूनुस की गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए थे। लेकिन जिस तरह से मैच में सचिन ने पाकिस्तानी गेंदबाज़ों का सामना किया ... सचिन अपनी अलग पहचान बना चुके थे। इसी दौरे पर एक बाउंसर से चोट खाने के बाद सचिन की नाक से ख़ून निकलने लगा था ... लेकिन उन्होंने पैवेलियन लौटने से इंकार कर दिया ... क्रिकेट के लिए सचिन का ये वो समर्पण जिसकी पूरी दुनिया कायल हो गई। एक प्रदर्शनी मैच में अब्दुल क़ादिर की गेंदों पर छक्के लगाते हुए सचिन का सिर्फ़ 18 गेंदों पर 53 रन बनाना भी ... उन्हें छोटी सी उम्र में फैन्स का चहेता बना गया। बात चाहे इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 1990 में ओल्ड ट्रैफ़र्ड के मैदान पर बनाए ... करियर के पहले टेस्ट शतक की हो ... या 1991-92 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर सिडनी टेस्ट में खेली नाबाद 148 रनों की ज़िम्मेदार पारी की ... सचिन का करियर मैच दर मैच सिर्फ परवान ही चढ़ा। 1994 में पहली बार उन्हें वन-डे क्रिकेट में टीम के लिए ... पारी की शुरुआत करने का मौका मिला जिसके बाद ... इसी साल उन्होंने वनडे फॉर्मेट अपना पहला शतक लगाकर ... उम्मीदों के नए सिलसिले का आगाज़ कर दिया। इंग्लैंड में 1999 वर्ल्डकप के दौरान अपने पिता की मृत्यु के बावजूद ... टीम की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए ... सचिन का शोक के बावजूद वापस वर्ल्डकप खेलने जाना और देश के लिए शतक बनाना ... सचिन की शक्सियत की ऐसी मिसाल बनीं जिसने किसी भी दूसरे क्रिकेटर से ... उन्हें कोसों आगे पहुंचा दिया।  क्रिकेट की पिच पर करीब-करीब बिताए अपने ढाई दशक के करियर में सचिन के नाम आज इतनी उपलब्धियां औऱ रिकॉर्ड हैं कि क्या कहें ... सबसे ज़्यादा रन ... सबसे ज़्यादा शतक ... सबसे लंबा करियर ... और वर्ल्ड क्रिकेट का सबसे सफल क्रिकेटर होने की उपलब्धियों के साथ आज सचिन क्रिकेट की असली पहचान हैं। जिस पर आने वाली पीढ़ियां सिर्फ नाज़ ही करेंगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.