sportskhabar.blogspot.in

sportskhabar.blogspot.in
खेल से खेल तक

बुधवार, 24 जून 2009

बचपन का हर सपना सच हुआ है पेस का


भारतीय टेनिस को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले लिएंडर पेस ने 1985 में 12 साल की उम्र में जब चेन्नई की अमृतराज टेनिस अकादमी में कदम रखा तो उनका सपना था, भारत का सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी बनना, ओलंपिक पदक जीतना और डेविस कप में सर्वश्रेष्ठ रिकार्ड रखना।

और देखिए कि अपने दमखम और कभी हार न मानने के जज्बे के कारण हाल में फ्रेंच ओपन के रूप में नौवां ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले पेस का हर सपना पूरा हुआ। वह निर्विवाद रूप से भारत के सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी हैं। उन्होंने 1996 अटलांटा ओलंपिक में एकल का कांस्य पदक जीता और डेविस कप में 84 जीत के साथ वह दुनिया के चोटी के दस खिलाड़ियों में शामिल हैं। हाकी ओलंपियन वेस पेस और भारतीय बास्केटबाल टीम की कप्तान जेनिफर के घर में 17 जून 1973 को गोवा में जन्में और कोलकाता में पले बढ़े लिएंडर ने टेनिस को समर्पित होने से पहले हर खेल में अपने हाथ आजमाए।

पेस ने एक साक्षात्कार में कहा था, 'मैंने प्रत्येक खेल खेला है क्योंकि मैं ओलंपियन परिवार में पैदा हुआ। मैंने हाकी, बास्केटबाल, क्रिकेट, फुटबाल, रग्बी, स्कूबा डाइविंग सभी में हाथ आजमाए हैं।' पेस का नाम लोगों की जुबान 1990 में तब चढ़ा था जब उन्होंने विंबल्डन में जूनियर वर्ग का एकल खिताब जीता था। इसके बाद उन्होंने अमेरिकी ओपन में यही कारनामा दिखाया और एक साल बाद पेशेवर टेनिस खिलाड़ी बने। अपना 36वां जन्मदिन मना रहे पेस ने 16 साल की उम्र से भारत की तरफ से डेविस कप में खेलना शुरू किया।

उन्होंने अब तक भारत की तरफ से डेविस कप में रिकार्ड 115 मैच खेले हैं जिसमें 84 [48 एकल और 36 युगल] में उन्हें जीत मिली जबकि केवल 31 [22 एकल और नौ युगल] में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा अब तक पांच युगल और चार मिश्रित युगल सहित नौ ग्रैंडस्लैम, एक एटीपी एकल खिताब तथा 40 युगल खिताब जीतने वाले पेस हालांकि अपने कैरियर का सबसे यादगार पल उसे मानते हैं जबकि वह अटलांटा में आंद्रे अगासी और सर्गेई बु्रगएरा के साथ पोडियम पर खड़े थे। उन्होंने कहा, 'तब मेरे गले में कांस्य पदक लटक रहा था और मेरे पिता और पूरा परिवार दर्शकों में शामिल थे।'

चावल और रसम के शौकीन पेस को अपने कैरियर में सबसे अधिक दुख एथेंस ओलंपिक 2004 में हुआ था जब वह और भूपति कांस्य पदक के लिए खेले गए मैच में मैच प्वाइंट गंवाकर हार गए थे। अटलांटा ओलंपिक में अपनी उपलब्धि के लिए देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न और पद्मश्री से नवाजे गए पेस ने अपना एकमात्र एटीपी एकल खिताब 1998 में न्यूपोर्ट में जीता था। इसी वर्ष उन्होंने न्यू हैवन में पीट संप्रास को हराकर तहलका मचा दिया था। वैसे डेविस कप में भी उन्होंने वायने फरेरा, गोरान इवानिसेविच, जिरी नोवाक जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को पराजित किया।

पेस अब 36 साल के हो गए हैं। ऐसी उम्र जो किसी भी टेनिस खिलाड़ी के लिए बहुत अधिक मानी जाती है लेकिन हाल में फ्रेंच ओपन में उन्होंने इस तरह का खेल दिखाया जैसे कि वह 25 साल की उम्र में खेला करते थे। उन्होंने लुकास डुलोही के साथ मिलकर युगल का खिताब जीता जो रोलां गैरां की लाल बजरी पर उनका तीसरा खिताब था। पेस ने बाद में कहा, 'यह मेरा तीसरा फ्रेंच ओपन खिताब है और यह विशेष है क्योंकि वहां क्ले कोर्ट है और मैं कोलकाता के घास के मैदान पर टेनिस खेल कर बड़ा हुआ हूं। फ्रेंच ओपन खिताब जीतने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की थी।'

इससे पहले पेस ने महेश भूपति के साथ 1999 और 2001 में फ्रेंच ओपन खिताब जीता था। भूपति के साथ उनकी जोड़ी यादगार रही और उन्होंने 1999 में चारों ग्रैंडस्लैम के फाइनल में जगह बनाई तथा विंबल्डन में भी खिताब जीता। पेस ने तब मिश्रित युगल का खिताब भी अपने नाम किया था। पेस यदि इस उम्र में भी दमखम से खेलते हैं तो उनके लिए प्रेरणा का स्रोत कोई और नहीं बल्कि लंबे समय तक टेनिस में बने रहने वाली मार्टिना नवरातिलोवा है जिनके साथ उन्होंने 2003 में आस्ट्रेलियाई ओपन और विंबलडन के मिश्रित युगल खिताब जीते थे। नवरातिलोवा फ्रेंच ओपन फाइनल के दौरान भी उनका हौसला बढ़ाने के लिए दर्शकदीर्घा में मौजूद थी।

एटीपी रैंकिंग में पांचवें नंबर के युगल खिलाड़ी पेस की निगाह अब विंबल्डन पर होगी। उन्हें पांच सेट तक खेलने में मजा आता है और विंबल्डन में युगल मुकाबले पांच सेट तक चलते हैं।

BaBa

1 टिप्पणी:

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.