Rishabhऋषभ शर्मा से खास मुलाकात " रजनीश कुमार के साथ"
“4 साल पहले जब मैं इंडिया टीवी में काम करता था तो उस वक्त मैंने एक सपना देखा कि मैं इंग्लैंड जाउंगा औऱ क्रिकेट के मक्का लार्ड्स में लाइव मैच देखने का आनंद उठाउंगा इसके साथ साथ पीटीसी भी जरूर मारुंगा।“ ये लाइनें कहते हुए लाइव इंडिया के वरिष्ठ खेल संवाददाता ऋषभ शर्मा ने हमें बताया कि लंदन वाकई सपनों का शहर है।"
कहतें है कि किताबें शक पैदा करती है आप जितना पढ़ते है उतनी इच्छाओं औऱ सपनों में जीना शुरू कर देते है। लेकिन कभी-कभी हर ख्वाब हकीकत में बदल जाता है ।हर सपना सच हो जाता है ऐसा ही कुछ हमारे ऋषभ भाई के साथ हुआ।
लाइव इंडिया की ओर ऋषभ शर्मा ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप कवर करने के लिए इंग्लैंड गए। ये लाइव इंडिया के लिए न कि बल्कि ऋषभ शर्मा के लिए ऐतिहासिक मौका था क्योंकि लाइव इंडिया के इतिहास में कोई भी रिपोर्टर विदेश दौरे पर नहीं गया था। हालांकि ऋषभ शर्मा लंदन जाने से पहले काफी मेहनत की. जिसका परिणाम उन्हें मिला औऱ वो लंदन मैच कवर करने के लिए चले गए। हालांकि टीम इंडिया का सफर टूर्नामेंट में जल्द खत्म होने के काऱण भारत में 20-20 वर्ल्ड कप क्रेज नहीं रह गया था। लेकिन फिर भी ऋषभ भाई ने मेहनत करके वहां की साइड एंगल स्टोरिंयां भेज कर इंग्लैंड की सैर हमें दिल्ली में बैठे बिठाए ही करवा दी।
सबसे पहले मैं उन ऐतिहासिक जगहों से आपकी परिचय करवा दूं जहां की यादें समेटे ऋषभ भाई कहते है कि “हम लंदन गए थे”
सबसे पहले रॉबिन हुड की कहानियों की स्टोरी हमने ऑनएअर की
उसके बाद टॉवर ब्रिज का जायजा क्रिकेट के मक्का लार्ड्स का जायजा फिर शरलॉक हॉम्स ऑल्डेस्ट बार इन नॉटिंघम मैडम तुसाद इसके अलावा की कुछ स्टोरियों को भी ऋषभ भाई ने कवर की । इन सभी स्टोरियों को देख कर ऐसा लगता है कि हां ऋषभ भाई लंदन गए थे।
लंदन और ट्वेंटी-20 की यादगार लम्हें समेटे आखिर ऋषभ भाई वापस वतन लौटे तो फिर वही रोजमर्रे की जिंदगी फिर से याद आ गई। खैर लंदन की यादें अभी भी जेहन मे तारो ताजा थी। मेरे जेहन में एक ही सवाल था जो मैं न जाने ऋषभ भाई से कितनी बार पूछ चुका था । जब वो लंदन में थे तब भी मैं फोन पर पूछा करता था कि लार्ड्स में बैठकर मैच देखना और लंदन से पीटीसी भेजना कैसा लगता ? न जाने मैं कितनी बार ये सवाल पूछ चुका था फिर भी उनके जवाबों से जब मेरा दिल नहीं भरा तो मैंने एक दिन फिर पूछा। मगर ऋषभ भाई का वही जवाब “मानों हर सपना जल्दी जल्दी सच हो रहा है और ये लम्हें जाहिर नहीं किए जातें है बल्कि महसूस किए जाते है।“
खैर उनकी बातों को सुनकर ऐसा लगता है कि ऐसे लम्हें जाहिर नहीं बल्कि ये लम्हें एक एहसास की तरह होता है जिन्हें शायद महसूस ही किया जाता हो ।
अपने सवालों का पुलिंदा लिए मैं ऋषभ भाई के सामने हाजिर हो गया ऋषभ भाई भी अपनी लंदन टूर की कहानियों की जरिए मेरे सवालों के जवाब दे रहे थे उन जवाबों में एक बात कॉमन थी कि हम लंदन गए थे औऱ हो भी क्यों न ।
हर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट का सपना होता है कि वो फॉरेन टूर कवर करे और वो भी खासकर इंग्लैंड ।
मैंने आज किसी के हकीकत को अपनी आंखो के सामने सच होता देखा है । मेरे दिल में एक ही सवाल उठता है कि क्या सच में सपने जब हकीकत का रूप ले लेता है तो बयां करना मुश्किल हो जाता है ?
ऋषभ भाई अपने लंदन यात्रा को हर तरीके से सफल बनाया है चाहे वो प्रोफेसनली हो .या पर्सनली हो ।
जब पर्सनली बात हुई तो मुझे एक बात याद आई कि जब ऋषभ भाई ऑफिस ज्वाइन किया तो बहुत से लोगों ने आकर ऋषभ भाई को हैलो बोला। हैलो बोलने वालों में कुछ ऐसे भी लोग थे जो इससे पहले शायद आज तक ऋषभ भाई को हैलो नही बोला था । खैर ऐसे मौके पर सभी ऐसे व्यवहार करते है कि जैसे कि हम आपके वर्षों से हिमायती रहे हैं।
बहुत से लोग अपने अपने सवालों की बौछार किए जा रहे थे इन्ही सवालों की आंधी में मुझे एक सवाल सुनाई दिया कि “ऋषभ लंदन जाकर गोरी मेम के साथ मस्ती किया या नहीं।“
ऋषभ भाई इन मामलों में साफ छवि के व्यक्ति है उन्होंने इन सवालों को बड़े आसानी के साथ हंसते हुए टाल दिया औऱ कुछ शब्दों में जवाबों के रूप में बोला.. कि यार मैं वहां लाइव इंडिया का काम करने गया था और जब मैं अगली बार पर्सनली विजिट पर जाउंगा तो जरूर ट्राई करुंगा।
लंदन की सड़कों पर खुली बसों में आनंद लेते हुए ऋषभ शर्मा अपनी जिंदगी के बेहतरीन लम्हों में से एक मानते हैं। फिल्मों में तो शायद हमने न जानें कितनी बार ऐसा दृश्य देखा है खासकर मुझे वो रहना है तेरे दिल में फिल्म में आर माधवन बीयर पीते हुए खुली बस में घूमता है।
खैर जब सपना जब हकीकत में बदलता है तो किसी फिल्म का सीन नहीं बल्कि खुद के रोमांच से भऱे पल याद आतें है।
ऐसे बहुत सारे लम्हों को याद करके ऋषभ शर्मा एक ही बात कह रहें हैं औऱ शायद आगे भी कहेंगे कि औऱ कहें भी क्यो न.. "जब हम लंदन गए थे।"
“4 साल पहले जब मैं इंडिया टीवी में काम करता था तो उस वक्त मैंने एक सपना देखा कि मैं इंग्लैंड जाउंगा औऱ क्रिकेट के मक्का लार्ड्स में लाइव मैच देखने का आनंद उठाउंगा इसके साथ साथ पीटीसी भी जरूर मारुंगा।“ ये लाइनें कहते हुए लाइव इंडिया के वरिष्ठ खेल संवाददाता ऋषभ शर्मा ने हमें बताया कि लंदन वाकई सपनों का शहर है।"
कहतें है कि किताबें शक पैदा करती है आप जितना पढ़ते है उतनी इच्छाओं औऱ सपनों में जीना शुरू कर देते है। लेकिन कभी-कभी हर ख्वाब हकीकत में बदल जाता है ।हर सपना सच हो जाता है ऐसा ही कुछ हमारे ऋषभ भाई के साथ हुआ।
लाइव इंडिया की ओर ऋषभ शर्मा ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप कवर करने के लिए इंग्लैंड गए। ये लाइव इंडिया के लिए न कि बल्कि ऋषभ शर्मा के लिए ऐतिहासिक मौका था क्योंकि लाइव इंडिया के इतिहास में कोई भी रिपोर्टर विदेश दौरे पर नहीं गया था। हालांकि ऋषभ शर्मा लंदन जाने से पहले काफी मेहनत की. जिसका परिणाम उन्हें मिला औऱ वो लंदन मैच कवर करने के लिए चले गए। हालांकि टीम इंडिया का सफर टूर्नामेंट में जल्द खत्म होने के काऱण भारत में 20-20 वर्ल्ड कप क्रेज नहीं रह गया था। लेकिन फिर भी ऋषभ भाई ने मेहनत करके वहां की साइड एंगल स्टोरिंयां भेज कर इंग्लैंड की सैर हमें दिल्ली में बैठे बिठाए ही करवा दी।
सबसे पहले मैं उन ऐतिहासिक जगहों से आपकी परिचय करवा दूं जहां की यादें समेटे ऋषभ भाई कहते है कि “हम लंदन गए थे”
सबसे पहले रॉबिन हुड की कहानियों की स्टोरी हमने ऑनएअर की
उसके बाद टॉवर ब्रिज का जायजा क्रिकेट के मक्का लार्ड्स का जायजा फिर शरलॉक हॉम्स ऑल्डेस्ट बार इन नॉटिंघम मैडम तुसाद इसके अलावा की कुछ स्टोरियों को भी ऋषभ भाई ने कवर की । इन सभी स्टोरियों को देख कर ऐसा लगता है कि हां ऋषभ भाई लंदन गए थे।
लंदन और ट्वेंटी-20 की यादगार लम्हें समेटे आखिर ऋषभ भाई वापस वतन लौटे तो फिर वही रोजमर्रे की जिंदगी फिर से याद आ गई। खैर लंदन की यादें अभी भी जेहन मे तारो ताजा थी। मेरे जेहन में एक ही सवाल था जो मैं न जाने ऋषभ भाई से कितनी बार पूछ चुका था । जब वो लंदन में थे तब भी मैं फोन पर पूछा करता था कि लार्ड्स में बैठकर मैच देखना और लंदन से पीटीसी भेजना कैसा लगता ? न जाने मैं कितनी बार ये सवाल पूछ चुका था फिर भी उनके जवाबों से जब मेरा दिल नहीं भरा तो मैंने एक दिन फिर पूछा। मगर ऋषभ भाई का वही जवाब “मानों हर सपना जल्दी जल्दी सच हो रहा है और ये लम्हें जाहिर नहीं किए जातें है बल्कि महसूस किए जाते है।“
खैर उनकी बातों को सुनकर ऐसा लगता है कि ऐसे लम्हें जाहिर नहीं बल्कि ये लम्हें एक एहसास की तरह होता है जिन्हें शायद महसूस ही किया जाता हो ।
अपने सवालों का पुलिंदा लिए मैं ऋषभ भाई के सामने हाजिर हो गया ऋषभ भाई भी अपनी लंदन टूर की कहानियों की जरिए मेरे सवालों के जवाब दे रहे थे उन जवाबों में एक बात कॉमन थी कि हम लंदन गए थे औऱ हो भी क्यों न ।
हर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट का सपना होता है कि वो फॉरेन टूर कवर करे और वो भी खासकर इंग्लैंड ।
मैंने आज किसी के हकीकत को अपनी आंखो के सामने सच होता देखा है । मेरे दिल में एक ही सवाल उठता है कि क्या सच में सपने जब हकीकत का रूप ले लेता है तो बयां करना मुश्किल हो जाता है ?
ऋषभ भाई अपने लंदन यात्रा को हर तरीके से सफल बनाया है चाहे वो प्रोफेसनली हो .या पर्सनली हो ।
जब पर्सनली बात हुई तो मुझे एक बात याद आई कि जब ऋषभ भाई ऑफिस ज्वाइन किया तो बहुत से लोगों ने आकर ऋषभ भाई को हैलो बोला। हैलो बोलने वालों में कुछ ऐसे भी लोग थे जो इससे पहले शायद आज तक ऋषभ भाई को हैलो नही बोला था । खैर ऐसे मौके पर सभी ऐसे व्यवहार करते है कि जैसे कि हम आपके वर्षों से हिमायती रहे हैं।
बहुत से लोग अपने अपने सवालों की बौछार किए जा रहे थे इन्ही सवालों की आंधी में मुझे एक सवाल सुनाई दिया कि “ऋषभ लंदन जाकर गोरी मेम के साथ मस्ती किया या नहीं।“
ऋषभ भाई इन मामलों में साफ छवि के व्यक्ति है उन्होंने इन सवालों को बड़े आसानी के साथ हंसते हुए टाल दिया औऱ कुछ शब्दों में जवाबों के रूप में बोला.. कि यार मैं वहां लाइव इंडिया का काम करने गया था और जब मैं अगली बार पर्सनली विजिट पर जाउंगा तो जरूर ट्राई करुंगा।
लंदन की सड़कों पर खुली बसों में आनंद लेते हुए ऋषभ शर्मा अपनी जिंदगी के बेहतरीन लम्हों में से एक मानते हैं। फिल्मों में तो शायद हमने न जानें कितनी बार ऐसा दृश्य देखा है खासकर मुझे वो रहना है तेरे दिल में फिल्म में आर माधवन बीयर पीते हुए खुली बस में घूमता है।
खैर जब सपना जब हकीकत में बदलता है तो किसी फिल्म का सीन नहीं बल्कि खुद के रोमांच से भऱे पल याद आतें है।
ऐसे बहुत सारे लम्हों को याद करके ऋषभ शर्मा एक ही बात कह रहें हैं औऱ शायद आगे भी कहेंगे कि औऱ कहें भी क्यो न.. "जब हम लंदन गए थे।"


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