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खेल से खेल तक

शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

वेस्टइंडीज़ एक इम्तिहान एक चैलेंज पार्ट-3



वेस्टइंडीज़ एक इम्तिहान एक चैलेंज पार्ट-3



वेस्टइंडीज़ एक इम्तिहान एक चैलेंज पार्ट-3
बारबाडोस पहुंचे ..तो रेसोर्ट में एंट्री ली ..समुद्र के क्या शानदार रिसोर्ट था...बेहद खूबसूरत ...रिसोर्ट में हर चीज़ थी ...आप अपनी फैमिली ...को लेकर यहां आ सकते हैं...हनीमून के लिए तो ..इससे बढिया जगह शायद ना मिले....
किचन में कुकिंग का सारा सामान था.....हमें लगा बाहर खाने की झंझट भी खत्म.....अगले दिन भारतीय टीम को बारबाडोस आना था ....हमने टैक्सी बुक की ...और एयरपोर्ट जाने लगे....रास्ते में ड्राइवर ने हमें बताया कि एयरपोर्ट के पास मैल्कम मार्शल की कब्र हैं ..और कब्र के पास बने चर्च से मार्शल का पुराना नाता था इसलिए उसे वहीं दफनाया गया....मैंने.ड्राइवर से कहा कि मुझे वहीं जाना है ..जीतू भाई के बेहतरीन कैमरा वर्क से मैंने उस दिन
का स्टोरी की ...और बाद में एयरपोर्ट पहुंचा....टीम गाडी में आई और निकल गई ...बस यही एक शॉट मिला ..लेकिन मार्शल की स्टोरी ऑफिस में सबको पसंद आई ...उसे स्पोर्ट्स टीम ने बहुत बढ़िया एडिट कराया था....इसके अगले दिन मैंने टीम होटल का रुख किया...जहां वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने तमाम टीम आई थी.....खुद को ट्यूरिस्ट बताकर हम होटल में घुसे ..लेकिन कोई खिलाड़ी नहीं दिखा...हां लंदन से आए कुछ भारतीय होटल से सटे बीच
में क्रिकेट खेल रहे थे ....मुंझे नहीं पता कि जिन लोगों से मैं मिलने जा रही हूं ..वो इस टूउर में मेरे लिए सबसे अहम साबित होंगे ..और शायद मैं उन्हे कभी नहीं भूल पाउंगा.......रवि, भवेश ...और जिग्नेश के साथ क्रिकेट खेलकर मैंने बीच क्रिकेट की स्टोरी तो कर ली ...लेकिन अभी इन तीनों के जरिए मेरा
मास्टर स्ट्रोक बाकी था....हम रोज़ टीम इंडिया की प्रैक्टिस को कवर करने के बाद....टीम होटल आते ..और रोज किसी ना किसी टीम के नहाने के शाट्स जरुर लेते .....बिलकुल पापाराजी( वो पत्रकार जो लोगों की निजी तस्वीरें उतारते हैं) हो गए थे...खैर बारबाडोस से हमें फिर सेंट लूशिया जाना था ..और
नेट पर सस्ते दामों पर एक ही होटल मिला ...हमने फोन पर वही बुक करा लिया......सेंट लूशिया पहुंचने पर पता चला कि ..ये होटल ...30 मील की दूरी पर पहाड़ों में है......और वहां से स्टेडियम पहुंचने में 2 घंटे लग जाएंगे .....कैंसेंल कर नही सकते थे ..क्योंकि 120 डॉलर जाते .....जीतू भाई बेहद नाराज
थे कि मैंने क्या कर दिया...मुझे खुद अफसोस हो रहा था ..लेकिन क्या करता ......हां मैनें उस होटल की दो दिन की बुकिंग को कैंसल कर सिर्फ एक दिन का कर दिया.......और एयरपोर्ट पर मौजूद अधिकारियों ने हमारे लिए स्टेडियम के पास ..एक होटल भी बुक करा दिया........हम पहाड़ी वाले रास्ते से उस होटल में पहुंचे...मुझे रास्ते में उल्टी भी आ गई ..हालत खराब हो गई थी ..सोच रहा था कि ये मैंने क्या कर दिया.....फिर भी उस होटल में पहुंचकर
मुझे पता लगा कि ...कि जिसे मैं अपनी बेवाकूफी समझ रहा हूं..वो मेरे लिए लाइफटाइम चांस बनने वाला है ....दुनिया का एकमात्र ड्राइव-इन ज्वालामुखी (ला सूफियरे) मेरी नजरों के सामने था ..और होटल से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर ...सुबह होते ही हम वहां पहुंच गए .....एक रोमांचित कर देने वाली जगह ...सिर्फ सुना था ..देखा पहली बार ....पहाड़ से निकलता लावा........हर तरफ धुंआ ही धुंआ.....मेरे मुंह से निकला क्या स्टोरी है ब़ॉस......इसके बाद बॉटनिकल गार्डन गए ..जहां वेस्टइंडिज से मिलने वाले हर फूल मौजूद थे.......दो बेहतरीन स्टोरी करने के बाद ......अब मूड सोने का था ..और ला सूफियरे को अलविदा कहने का .......वहां से लौट कर मैं बहुंत खुश था ..रास्ते में समुद्र पड़ा ..जिसमें एक बड़ा क्रूजर खड़ा था.......मैंने गाड़ी रुकवाकर
..फोटो खिंचवाई ..और हम अपने नए होटल में पहुंच गए....

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