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खेल से खेल तक

बुधवार, 26 अगस्त 2009

दूध के धुले नहीं है सहवाग


सहवाग के सच का सामना


पिछले दिनों ...सहवाग और उनके होम बोर्ड डीडीसीए की जंग ने खूब सुर्खियां बटोरी ...लोग इस बात की पडताल करते रहे कि आखिऱ किस हद तक डीडीसीए में धांधली होती है...संयोग की बात है इनी दिनों ..फिरोज शाह कोटला में दिल्ली रणजी टीम का कंडिशनिंग कैंप भी आयोजित हुआ ...अब इसमें जो खिलाड़ी आता उसे ..डीडीसीए के साथ मान लिया जाता ...और जो खिलाड़ी चाहे वो किसी भी ..वजह से कैंप में हिस्सा नही पाता था..उसे सहवाग के साथ मान लिया जाता था ...कमाल की बात ये हैं ..कि जैसे ही ..वो खिलाड़ी अगले दिन कैंप में पहुंचता ...उस पर डीडीसीए के दबाव की बात मान ली जाती ......आखिरकार कई दिनों के अनुमान और आकलनों के बाद डीडीसीए प्रेसीडेंट की प्रेंस कॉफेंस हुई और सारा मामला ...साफ हुआ ..और असली तस्वीर सामने आई ....कुछ डीडीसीए झुका और कुछ सहवाग ...लेकिन डीडीसीए मामले में सहवाग का इतना साथ देने वाली मीडिया को सहवाग की तरफ से थैंक्यू तक सुनने को नही मिला...बल्कि ..सहवाग को तो ऐसा लगा कि उन्होने मीडिया को नया टॉपिक देकर उनपर एहसान किया है ... क्या सहवाग भूल गए कि अगर मीडिया ने उनका साथ ना दिया होता ...तो डीडीसीए पर कभी दबाव ना बनता ...वो कहते रहते .....और काम चलता रहता ...वैसे भी सहवाग के दिल्ली छोड़ने से डीडीसीए की सेहत पर कोई फर्क नही पड़ता ....उलटा सहवाग को ही नुक्सान उठाना पड़ता ..खैर छोडिए..असली मामला ये है कि सहवाग इस खेल के मैन ऑफ द मैच रहे ...लेकिन हकिकत कुछ और है ...क्या हमेशा डॉमेस्टिक क्रिकेट से दूर रहने वाले सहवाग को ..अचानक घरेलू क्रिकेट में धांधली की कहां से याद आ गई ....फिर उसपर अंडर 15 और अंडर 19 की बात समझ से परे हैं....पिछले साल वीरू ने सिर्फ एक मैच खेला ..और वो भी इसलिए ...क्योंकि भारत दौरे पर आई इंग्लैंड टीम ..मुंबई हमले के चलते ..अपने देश रवाना हो गई थी ..उससे पिछले सीज़न में उन्होने दिल्ली के लिए बल्ले नही उठाया ..आगे भी सीज़न व्यस्त है ...और उन्हे घरेलू क्रिकेट नही खेलनी ...तो फिर सहवाग इतना ड्रामा क्यों कर रहे थे.....साफ है स्पोर्ट्स कमेटी ....के राज में उनकी एक नही चल रही थी ...वो अपनी चलाना चाहते थे...वो अपनी मन मर्ज़ी के माफिक खिलाड़ी चुनना चाहते थे ....वो सलेक्शन में अपना दबदबा चाहते थे ...जब ऐसा नही हुआ ...तो छेड़ दिया बगावत का बिगुल ..उन्हे पता था ..कि इंडियन मीडिया इतनी ..वेली है ...कि बिना तह तक जाए ....इस मुद्दे को उठाएगी ..हुआ भी ऐसा ही ...अब कोई सहवाग से पूछे ...कि उनके दिल की तो हो गई ...उनके एक-दो आदमी को टीम में जगह भी मिल जाएगी .....लेकिन क्या वो ...ट्रांसपेरेंसी के नाम पर धूल नही झोंक रहे.....क्या वो वही काम नही करना चाहते जिसके वो दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं...सच्चाई तो यही है ..और यही है सहवाग का सच का सामना..

रवीश बिष्ट

खेल पत्रकार

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