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खेल से खेल तक

शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

वेस्टइंडीज़ एक इम्तिहान एक चैलेंज पार्ट-2



वेस्टइंडीज़ एक इम्तिहान एक चैलेंज पार्ट-2



वेस्टइंडिज की यात्रा मेरी जिंदगी की पहली हवाई यात्रा थी इसलिए मन में काफी डर था ..लेकिन जैसे ही जहाज में बैठा...कुछ रोमांचित सा लगने लगा ..जहांज ने टेक ऑफ किया ...तो रोमांच की सारी सीमाएं ही टूट गई.......ऐसा लगा कि ...कि दुनिया कितनी छोटी है ........विंडो सीट से तो नजारा ही अद्भुत था.....सब कुछ छोटा होता जा रहा था......सिर्फ लाइटें नजर आ रही थी ....और कुछ मिनटों की यात्रा के बाद ......हम कब पाकिस्तान पहुंच गए
पता ही नहीं लगा ....हम बादलों के उपर आ गए थे.....और इसके बाद तो ..मैंने नीचे देखना ही छोड़ दिया... यात्रा के साथ साथ समय भी बदल रहा था .और देखते ही देखते हम दुबई पहुंच चुके थे ....यहां से हमें लंदन की उड़ान भरनी थी .......दुबई एक शानदार जगह है .....रेगिस्तान के बीच बिलकुल
महल से लगता हैं....सड़के चौड़ी-चौड़ी ..और एयरपोर्ट एकदम भव्य....लेकिन लंदन तो जन्नत जैसा था ...साफ सफाई ...हरियाली...और वातावरण में ठंड....लंदन तक का सफर एमिरेट्स से कटा था ..इसलिए कोई खास परेशानी नहीं हुई ...क्योंकि सुविधाएं भी अच्छी थी ..और एयरहोस्टेस्स भी ( हाहाहा)
खैर लंदन से हमें बारबाडोस जाना था ...लेकिन ब्रिटिश एयरवेज ने हमारे सामान को एक्सट्रा लगेज करार दे दिया और हमें 70 डॉलर भरने को कहा गया......हमने अपना ट्रैवल कार्ड का इस्तेमाल करना चाहा ..तो उसने भी धोखा दे दिया.......एटीएम मशीन ने कार्ड को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.....हमारे फोन भी बंद थे.....इसके बाद अपनी जेब से पैसा भरने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया ..मैंने और जीतू भाई ने अपनी पर्सनल मनी को
वहां जमा करा दिया ....और ब्रिटिश एयरवोज की फ्लाइट में सवार हो गए.....
ये सफर मेरे लिए काफी कष्टकारी रहा ..क्योंकि ...मैं एक शाकाहारी इंसान हूं...और ब्रिटिश एयरवेज का नियम है कि शाकाहारी खाने के लिए पहले से लिखना होता है .......इसलिए अब मुझे ...ये सफर भूखे ही बिताना था ....हां ये एयरलाइन उन लोगों के लिए बिलकुल फिट है ...जो वाइन का मजा लेना
चाहते हैं ..दुर्भाग्यवश मैंने ऐसा कोई शौक नहीं पाला था ...इसिलए मुझे तो कॉफी और चॉकलेट से ही पूरा हवाई रास्ता तय करना पड़ा........जब हम बारबाडोस पहुंचे तो मैं हैरान रह गया कि ..ऐसा भी कोई एयरपोर्ट हो सकता है..बिलकुछ खाली ...खुला खुला सा...... लग रहा था ..कि हम अलग ही
दुनिया में आ गए हैं.... ....भारत का पहला मैच सेंट लूशिया( वेस्टइंडीज का एक अलग आइलैंड) में था .....इसलिए हमें ...बारबाडोस से भी आगे जाना
था ...मेरे साथ ट्रैजिडी ये थी ...कि अपना ना ..होटल बुक था ..और ना ही टूर्नामेंट के लिए इंटरनल फ्लाइट्स......फिर भी मैं ..पासपोर्ट के साथ अभी सिक्योरिटी क्लिरेंस के लिए रुका ही था ..कि किसी ने मुझे आवाज दी ......मुझे लगा कि यहां मुझे कौन जानता है ......तो देखा हर्षा भोगले थे ......मेरे लिए हर्षा इसलिए खास हैं क्योंकि मैंने अपने करियर की शुरुआत उन्ही के क्विज शो से की थी ....अब हर्षा भी हमारे साथ हो लिए ..और हम लोग
एयरपोर्ट पर क्रिकेट की बातें करने लगे .......इसी दौरान टाइम्स नाउ के बोरिया मजूमदार भी वहां पहुंच गए .......और हमारा अच्छा कास टाइम पास होने लगा ..अचानक बोरिया ने मुझसे पूछा ..कि ..क्या मैंने होटल और इंटरनल प्लाइट बुक करा लिए हैं....एक पल के लिए मानो मेरी धड़कन रुक गई ....मैंने झूठ में हां कह दिया......उसने कहा - "अच्छा किया ..क्योंकि अब नहीं मिलने वाली ..सब फुल हो चुकी है ......." मेरे तो पैरों तले धरती ही खिसक गई फिर भी मैनें...दिल पे हाथ रखा और कहा ..ऑल इज वेल.....
सेंट लूशिया में हमने अपने रहने के इंतजाम की बात इंडिया टीवी के सीनियर रिपोर्टर ..रोहित विश्वकर्मा से की थी ....इसलिए वहां पहुंचते ही ...उन्हें कॉल किया...रोहित इतने अच्छे इंसान थे ..कि उन्होंने एक टैक्सी ड्राइवर को एयरपोर्ट पहले से ही भेजा हुआ था....लेकिन मैंने ..पहले इंटरनल टिकट बुक कराना जरूरी समझा.....मैच के आगे-पीछे की डेट के साथ ..हमें बुकिंग मिल गई ...लेकिन किस्मत इतनी खराब थी कि एयरपोर्ट का एटीएम ही खराब
था ...इसलिए टिकट यहां भी कन्फर्म नहीं हो सकी....खैर हम अपने होटल पहुंचे....और 10 मिनट की दूरी के लिए 30 डॉलर देते ही मुझे अहसास हो गया ...कि वेस्टइंडीज़ कितना मंहगा है.....रूम अच्छा था ...नेट का कनेक्शन भी था ..और हमने सिर्फ चिप्स खाकर सोना ही बेहतर समझा...सुबह नींद जल्दी खुल गई.....हमने सोचा कि सबसे पहले ...सिम ...प्लग सॉकेट...और डाटा कार्ड खरीद लें.....साथ ही हमें एयर टिकट भी बुक करानी
थी........हमारा ट्रैवल कार्ड चलने लगा था ..और हमने अपनी एयरटिकट बुक करा ली ...इसके बाद हम ..सेंट लूशिया के स्टेडियम पहुंचे ....और वहां पर पिच के बॉक थ्रू ..के अलावा अफगानिस्तान के खिलाड़ियों का इंटरव्यू भी किया.....भारतीय टीम दूसरी जगह प्रैक्टिस कर रही थी ...भारत के तमाम पत्रकार वहीं थे ......हम भी वहां पहुंच गए .....बाकी पत्रकार हमें हैरानी से देख रहे थे....कि लो ये लाइव इंडिया वाले भी यहां आ गए.....उनका नजरिया
हमारी तरफ बिलकुल अच्छा नहीं था.....मुझे सबकुछ अजीब लग रहा था.....मन कर रहा था ..कि वापस भारत आ जाऊं ......ये मेरे बस की चीज़ नहीं है ...फिर लगा ....कि अगर इतनी जल्दी हार मान ली ..तो खुद को माफ नहीं कर पाउंगा....दिन बीतते जा रहे थे ....और हम रोज दिन गिनते थे ..कि एक एक दिन और कम हो गया......अब हम जल्द भारत लौट आएंगे .....सेंट लूशिया में खाने की बहुत दिक्कत हो रही थी ..रोज रात को भारत से ले गई मैगी खाकर हम बोर हो चुके थे ..पर कुछ खा नहीं सकते थे ....क्योंकि पैसे खत्म हो जाने का डर
था ....इसलिए हम रोज रात को स्टेडियम से पानी की बोतल लेकर आते थे .....क्योंकि वहां मिनरल वॉटर भी 3 यूएस डॉलर का मिलता था ...थक हारकर मुझे अंडा भी खाना पड़ा लेकिन जब 4 अंडों का बिल 48 डॉलर आया ..तो हमें लगा कि अब कुछ और ही सोचना पडेगा ....सेंट लूशिया में भारत ने एक आसान मैच जीता ....औमर अब टीम इंडिया का अगला पड़ाव ....बारबाडोस था .....हमारी बुकिंग मैच के दिन की थी ...लेकिन अचानक फोन पर पता चला कि ... ....एक दिन पहले कि 2 सीटे खाली है ......यहां तक कि बारबाडोस में हमें होटल भी मिल गया....वो भी
ठीकठाक दामों पर .....रास्ता साफ था ....और भगवान हमारे साथ....

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