
वर्ष 1996 में एक बार फिर विश्व कप का आयोजन भारतीय उपमहाद्वीप को मिला और इस बार भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने इसकी संयुक्त मेजबानी की. इस विश्व कप में 12 देशों ने हिस्सा लिया. संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड्स और कीनिया ने पहली बार विश्व कप में भाग लिया. नीदरलैंड्स ने अपने पाँचों मैच गँवाए और संयुक्त अरब अमीरात ने एक मैच में जीत हासिल की लेकिन कीनिया ने वेस्टइंडीज़ को हराकर सबको चौंकाया.
सभी 12 टीमों को छह-छह के दो ग्रुपों में बाँटा गया. दोनों ग्रुपों की शीर्ष चार टीमों को क्वार्टर फ़ाइनल में जगह मिली. वैसे तो 15 ओवर तक दो फ़ील्डरों के ही 30 गज के दायरे से बाहर रहने का नियम तो 1992 के विश्व कप से ही आया था लेकिन बल्लेबाज़ों ने इसका असली फ़ायदा वर्ष 1996 के विश्व कप से उठाना शुरू किया. सबसे ज़्यादा इसका लाभ उठाया तीन टीमों- श्रीलंका, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने. इसी विश्व कप से तीसरे अंपायर की भी भूमिका शुरू हुई.
इस विश्व कप में श्रीलंका में होने वाले मैचों को लेकर विवाद भी हुआ. विश्व कप के कुछ दिन पहले संदिग्ध तमिल विद्रोहियों के हमले में 90 लोग मारे गए थे. ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ ने श्रीलंका में जाकर मैच खेलने से इनकार कर दिया. लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने ये दोनों मैच का विजेता श्रीलंका को घोषित कर दिया. श्रीलंका को इसका लाभ मिला और ग्रुप में उसकी टीम शीर्ष स्थान पर रही. ग्रुप बी में दक्षिण अफ़्रीका ने अपने सभी मैच जीते और उसे तगड़ा दावेदार भी माना जा रहा था.
ग्रुप ए से अन्य टीमें जो क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचीं, वे थीं- ऑस्ट्रेलिया, भारत और वेस्टइंडीज़ की टीमें. ऑस्ट्रेलिया ने भी पाँच में से तीन मैच जीते और भारत ने भी तीन. ग्रुप बी से क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाई दक्षिण अफ़्रीका, पाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड ने. क्वार्टर फ़ाइनल में इंग्लैंड का मुक़ाबला श्रीलंका से हुआ, तो भारत का मुक़ाबला अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से. दक्षिण अफ़्रीका की टीम भिड़ी वेस्टइंडीज़ से तो ऑस्ट्रेलिया के सामने थी वेस्टइंडीज़ की टीम.
पहले सेमीफ़ाइनल में जयसूर्या की शानदार पारी रंग लाई और इंग्लैंड का विश्व कप से पत्ता साफ़ हो गया. भारत के ख़िलाफ़ मैच में पाकिस्तान के कप्तान वसीम अकरम ही नहीं खेल पाए. भारत के 287 रनों के जवाब में पाकिस्तान ने शुरुआत तो अच्छी की लेकिन एक बार खिलाड़ी आउट होना शुरू हुए तो फिर ताँता ही लग गया. पाकिस्तान की टीम 39 रनों से हार गई. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मैच में न्यूज़ीलैंड ने क्रिस हैरिस के 130 रनों की बदौलत 286 का बड़ा स्कोर खड़ा किया. लेकिन मार्क वॉ ने विश्व कप में अपनी तीसरा सैकड़ा जड़ा और अपनी टीम को सेमी फ़ाइनल में पहुँचा दिया.दूसरी ओर कीनिया के हाथों मिली हार से शर्मसार वेस्टइंडीज़ ने शानदार वापसी की और दक्षिण अफ़्रीका को 19 रनों से हराकर आख़िरी चार में जगह बनाई. लारा ने 111 रन बनाए.
कोलकाता के ईडन गार्डन में भारत और श्रीलंका के बीच हुआ सेमी फ़ाइनल मैच काफ़ी नाटकीय रहा. एक लाख 10 हज़ार से ज़्यादा संख्या में मौजूद दर्शक भारत की तय मानी जा रही हार पचा नहीं पाए और हुडदंग पर उतर आए. श्रीलंका के 252 रनों के जवाब में भारत ने 120 रन पर अपने आठ विकेट गँवा दिए थे. पिच तो ऐसी हो गई कि गेंद कब कहाँ घूम रही थी, बल्लेबाज़ों के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा था. हुड़दंग के कारण आईसीसी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया. हालाँकि उनकी जीत तो तय ही थी.
ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ का मैच भी क्रिकेट में उतार-चढ़ावा की एक रोमांचक दास्तां बना. पहले खेलते हुए एक समय ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ़ 15 रन पर चार विकेट गँवा दिए थे. लेकिन स्टुअर्ट लॉ और माइकल बेवन ने पारी संभाली और ऑस्ट्रेलिया 207 रन बनाने में कामयाब रहा. एक समय वेस्टइंडीज़ की जीत पक्की लग रही थी और 42वें ओवर में उसका स्कोर था दो विकेट पर 165 रन. लेकिन शेन वॉर्न ने चार विकेट लिए, कप्तान मार्क टेलर ने अच्छी रणनीति अपनाई और वेस्टइंडीज़ ने 37 रन पर अपने आठ विकेट गँवा दिए. कप्तान रिची रिचर्ड्सन 49 रन पर नाबाद रहे और खड़े देखते रहे. ऑस्ट्रेलिया की टीम पाँच रन से जीत गई.
फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुक़ाबला श्रीलंका से हुआ. लेकिन इतने एकतरफ़ा फ़ाइनल की किसी ने कल्पना नहीं की थी. ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए मार्क टेलर के 74 रनों की मदद से 241 रन बनाए लेकिन श्रीलंका ने तीन विकेट के नुक़सान पर ही लक्ष्य हासिल कर लिया. किसी भी विश्व कप फ़ाइनल में एक खिलाड़ी ने इतना दमख़म नहीं दिखाया था, जैसा कि इस फ़ाइनल में अरविंद डी सिल्वा ने दिखाया. उन्होंने दो कैच पकड़े, तीन विकेट लिए और नाबाद 107 रनों की पारी खेली. श्रीलंका ने लाहौर के मैदान पर जीत हासिल की और पहली बार विश्व कप का ख़िताब हासिल किया. भारत और पाकिस्तान के बाद श्रीलंका ख़िताब जीतने वाला तीसरा एशियाई देश बना।
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