
दूसरी बार चैंपियन बना ऑस्ट्रेलिया
वर्ष 1983 के बाद एक बार फिर विश्व कप की मेजबानी इंग्लैंड को मिली. हालाँकि विश्व कप के कुछ मैच आयरलैंड, स्कॉटलैंड और नीदरलैंड्स में भी हुए. इस विश्व के स्वरूप में थोड़ा बदलाव हुआ. 12 टीमों को छह-छह के दो ग्रुपों में बाँटा गया. लेकिन अगले दौर में जाने का मौक़ा मिला सिर्फ़ छह टीमों को यानी हर ग्रुप की शीर्ष तीन टीमें.
अगला दौर कहलाया सुपर सिक्स और इस दौर में एक ग्रुप की सभी तीन टीमों को दूसरे ग्रुप की सभी तीन टीमों से मैच खेलना पड़ा. फिर अंक के आधार पर चार टीमें सेमीफ़ाइनल में पहुँचीं. ग्रुप ए से दक्षिण अफ़्रीका, भारत और ज़िम्बाब्वे की टीम सुपर सिक्स में पहुँची, तो ग्रुप बी से मौक़ा मिला- पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को.
सुपर सिक्स में भारत पाकिस्तान से तो जीत गया लेकिन ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने उसे हरा दिया और भारतीय टीम सेमी फ़ाइनल में नहीं पहुँच पाई. ग्रुप स्तर के मैचों में प्रदर्शन से अलग सुपर सिक्स के लिए क्वालीफ़ाई करने वाली टीम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के आधार पर अंक आगे ले जाने के नियम का भारत को नुक़सान हुआ. जबकि पाकिस्तान को लाभ. पाकिस्तान ने भी सुपर सिक्स में एक ही मैच जीता लेकिन चूँकि क्वालीफ़ाई करने वाली टीमों को उसने ग्रुप मैचों में हराया था इसलिए सुपरसिक्स में वे अंक उसके खाते में जुड़ गए.
पाकिस्तान के अलावा न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका ने सेमी फ़ाइनल में जगह बनाई. सईद अनवर के शानदार शतक की बदौलत पाकिस्तान ने न्यूज़ीलैंड को हराकर फ़ाइनल में जगह बनाई. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका के बीच दूसरा सेमी फ़ाइनल अति रोमांचक रहा. साँस रोक देने वाले इस मैच में नतीजा तो टाई रहा. लेकिन सुपर सिक्स में रन गति के आधार पर दक्षिण अफ़्रीका से आगे रहने के कारण ऑस्ट्रेलिया को फ़ाइनल में जगह मिली.
लॉर्ड्स में हुआ फ़ाइनल मैच एकतरफ़ा रहा और ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को आठ विकेट से हराकर विश्व कप का ख़िताब अपने नाम किया।
स्पोर्ट्स खबर


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