भारत औऱ इंग्लैंड के बीच होने वाला तीसरा वन-डे...अगर रांची जैसे छोटे शहर को मिल पाया...तो इसके पीछे सिर्फ एक नाम ज़िम्मेदार है...वो नाम जिसे आज वर्ल्ड क्रिकेट महेन्द्र सिंह धोनी के नाम से जानता है..लेकिन छोटे से शहर में रहने वाला महेंद्र नाम का ये अदना सा लड़का...कैसे इतना बढ़ा सितारा बन गया...क्या है पर्दे के पीछे धोनी की असल कहानी...
youTube Link for Video Story : Dhoni;s Life Documentary:
http://www.youtube.com/watch?v=NE3UoIiz0JE
महेन्द्र सिंह धोनी ... या कहें माही ! टीम इंडिया के कैप्टन कूल के चर्चे आज भले ही आम हो ... भले ही वर्ल्ड क्रिकेट उनके रुतबे को सलाम करता हो ... लेकिन गरीब परिवार में जन्में धोनी का बचपन ऐसा बिलकुल नहीं रहा ... जैसा होने पर कोई नाज़ करे। RELIEF सुनकर भले ही हैरानी हो ... लेकिन हकीकत ये है कि माही का जन्म रांची के एक ऐसे गरीब परिवार में हुआ था ... जहां उनके पिता पानसिंह के पास अपने बेटे की चाहत यानी क्रिकेट को परवान चढ़ाने तक के पैसे नहीं थे। धोनी के पास अपना क्रिकेट बैट तक नहीं था ... स्कूल की टीम के साथ खेलने के लिए मौका मिल जाए इसीलिए धोनी ने ... ना चाहते हुए भी विकेटों के पीछे कीपिंग करना स्वीकार कर लिया। पिता ने बैट खरीदकर नहीं दिया ... तो बार-बार चिढ़ाने वाले साथी लड़कों से बचने के लिए धोनी ने खुद ही बैट के लिए पैसे जोड़ने शुरू कर दिए। छोटी से उम्र में मैदान पर लंबे छक्के लगाने वाले धोनी की डिमांड थी ... तो माही ने भी दोस्तों से कहा कि मैच खेलने के लिए अब वो 5 रूपए लिया करेंगे । मुफलिसी के इस दौर में अक्सर धोनी ने पड़ोसियों के कहने पर राशन की लाइन में लगने का भी काम किया ... जिसे उनका खर्चा चल सके। इसी कमाई से उन्होंने अपना पहला क्रिकेट बैट औऱ किट खरीदी । धोनी के लिए अपने सपनों की उड़ान पकड़ने का जुनून ऐसा था ... कि उनके स्कूल के क्रिकेट कोच के.आर बैनर्जी भी उन्हें बिना किसी फीस कोचिंग देने के लिए तैयार हो गए। 7 साल तक स्कूली स्तर पर आक्रामक क्रिकेट खेलकर अब धोनी मशहूर हो चुके थे ... अखबार में उनके खेल की खबरें छपने लगीं थी। इसी बीच उन्हें CCL क्लब से खेलने का मौका मिला ... जहां माही के हुनर को तराशने का काम किया कोच चंचल भट्टाचार्य ने। वक्त गुज़रा और धोनी को अपने खेल की बदौलत रेलवे में टिकट चैकर यानी TTE की नौकरी भी मिल गई। लेकिन क्रिकेट की कोहीनूर यहां कहां थम सकता था ... बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में अपनी काबिलियत दिखाने के बाद धोनी को इसके बाद इंडिया-ए के लिए खेलने का मौका मिला ... जिसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुढ़कर नहीं देखा। धोनी के इरादों की मज़बूती के सामने तमाम मंज़िले खुद बा खुद सजदा करने लगीं ... । मुफलिसी औऱ संघर्ष के लंबे दौर के बाद फिर आय़ा साल 2004 ... जब माही टीम इंडिया का हिस्सा बन चुके थे। इसके बाद तो धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ... टीम में बतौर बल्लेबाज़ खुद को साबित करने के बाद ... धोनी टीम इंडिया के कप्तान बने औऱ देश को दो-दो वर्ल्डकप के अलावा टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 होने का रूतबा भी दिया दिया।
रजनीश कुमार
खेल पत्रकार
rajnish17kumar@gmail.com
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