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खेल से खेल तक

रविवार, 19 जुलाई 2009

1983 वर्ल्ड कप से बड़ी है 2007 टी-20 w'cup की जीत


कई दिनों से मेरे मन मे ये सवाल उठ रहा था ..कि भारत ने क्रिकेट के मैदान मे दो वर्ल्ड कप जीते ..लेकिन आखिर कौनसी जीत सबसे बड़ी है....साफ ये युग अलग-अलग थे ...इसलिए दोनों की तुलना नही की जा सकती .....लेकिन फिर भी मैने आकलन करके पाया...कि 2007 में धोनी की कप्तानी में जीता गया वर्ल्ड कप की जीत भारतीय क्रिकेट के लिहाज़ से सबसे बड़ी जीत है...इसके कुछ ठोस कारण हैं.......ये सच है कि 1983 वर्ल्ड कप की जीत के पहले भारतीय टीम को ज्यादा महत्व नही दी जाती थी...लेकनि कपिल के कारनामे के बाद ..भारतीय क्रिकेट को नई पहचान मिली...और रुतबा भी...वहीं 2007 में वेस्टइंडिज़ में वन डे वर्ल्ड कप गंवाने के बाद ...भारतीय क्रिकेट को बड़ी झती पहुंची...लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा ..हर तरफ भारतीय क्रिकेट की आलोचना हो रही थी....टीम को लेकर निरासा का माहौल था.....और अब क्रिकेट फैंस मानने लगे थे ..कि क्रिकेट ...सिर्फ समय बर्बाद करने का जरिया है...इस दौरान बीसीसीआई के मुनापे में भी कमी आई.....और भारतीय बोर्ड भारतीय फैंस के इंटरेस्ट को बनाने के लिए ...रोज़ नई बात रखता ...यहां तक कि वर्ल्ड कप के बाद तुंरत आयोजित की गई ...बांग्लादेश सीरीज़ में भी नए खिलाड़ियों को चांस दिया गया ...और सीनियर खिलाड़ियों को आराम ...बीसीसीआई को लगा कि इससे लोगों का गुस्सा शांत हो जाएया.....
भारतीय क्रिकेट के लिए हालात बेहद खराब थे......और टीम का मनोबल टूट चुका था...ऐसे समय में भारत को ट्वेंटी-20 वर्लड में शिरकत करनी थी...और सीनियर खिलाड़ियों जैसे सचिन..सौरव ..और राहुल के अपना नाम वापस लेने के बाद टीम की कमान युवा महेंद्र सिंह धोनी के कंधों पर सौंपी गई..वर्लड कप में भारत ने शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ जीत के साथ की .....लोगों का इंटरेस्ट खेल में लौटने लगा ....इसके बाद ...इंग्लैंड ...साउथ अफ्रीका .....और ऑस्ट्रेलिय़आ जैसी टीमों को धूल चटाने के बाद टीम इंडिया फाइनल में थी......मुकाबला फिर पाकिस्तान से था.....और भारत के सामने था ...क्रिकेट फैंस के खोए विश्वास को पाने का सुनहार मौका.......जंग आखिरी ओवर तक गई ...क्रिकेट का रोमांच अपने चरम पर पहुंचा ..और एक हाइवोल्टेज ड्रामे में ..भारत ..वर्ल्ड चैंपियन बन गया.......क्रिकेट फैस जश्न मनाने सड़को पर उतर आए...टीम का भव्य स्वागत हुआ....और भारतीय क्रिकेट एक बार फिर बुलदियों पर था.. शायद 1983 में कपिल आर्मी के साथ ऐसा ना हुआ हो ...लेकिन ...धोनी के धुरंदरों ने उस पल को एक बार फिर जीवित कर दिया....जो भारतीय फैंस ने करीब 24 साल पहले देखा था......और भारतीय क्रिकेट को भी नई जान मिल गई...टीम इंडिया तुम्हे सलाम..


रवीश बिष्ट ( लेखक धोनी आर्मी के संस्थापक हैं)

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