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खेल से खेल तक

शनिवार, 11 जुलाई 2009

टेनिस के धोनी हैं फेडरर


धोनी
आगे या
फेडरर







टेनिस के दिग्गज रोजर फेडरर नें करियर का 15वां ग्रैंडस्लैम जीतकर इतिहास रच दिया...इसी दिन ....एक और इतिहास रचा गया...भारत ने वेस्टइंडिज़ में वन डे सीरीज़ जीतकर वर्ल्ड कप की हार के कलंक को धो दिया......और इस जीत के सबसे बड़े सूत्रधार बने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी .वहीं फेडरर की जीत कई माइनों में अहम थी...वो पिछले साल विंबल्डन में चूक गए थे....लेकिन इस बार पूरे खेल में उन्होने अपना कॉन्सनट्रेशन बनाए रखा ..जैसे .धोनी हर पल ..मैच में अपनी पकड़ कमज़ोर नही होने देते....फेडरर... धोनी की ही तरह आक्रामक होने के बाद भी कभी ये दिखाने की कोशिश नही करते ...कि उन्होने विरोधी को पस्त कर दिया है...या किसी भी प्रकार का अंहकार ...उनसे काफी दूर रहता है...याद करिए ..साल 2007 के उस पल को जब माही ने भारत को ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप में जीत दिलाई थी...मैच के आखिरी रोमांचक पलों में भी धोनी के माथे पर चिंता की एक भी लकीर नही थी...ऐसा ही कुछ फेडरर के साथ भी था...वो भी बस रॉडिक की हर सर्व का बेहतरी से जवाब दे रे थे...धोनी की तरह उन्हे भी पता था..की गलती दूसरे खेमे से होगी.....दरअसल फेडरर ने भी धोनी की तरह कामयाबी की सीढ़ी को बड़ी तेज़ से चढ़ा है...अपने सात साल के करियर में वो 15 ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं...वही धोनी का रिकॉर्ड कम समय में और भी शानदार है....अपने डेब्यू के पांच साल बाद ..धोनी ने हर मिशन इंपॉसिबल को पॉसिबल किया...वर्ल्डकप का ताज़ दिलाया...आईसीसी के नंबर वन प्लेयर बने....आईसीसी के बेस्ट कप्तान भी बने...100 करोंड़ के देश में जहां ..उम्मीदों का पहाड़ हमेशा टीम इंडिया के कप्तान पर होता है...उस ज़िम्मेदारी को धोनी से बेहतर शायद ही किसी ने अंजाम दिया हो..वहीं फेडरर भी नडाल से मिल रही लगातार टक्कर से आलोचनाओं के घेरे में थे....लेकिन विंबल्डन 2009 जीतकर उन्होने साबित कर दिया ..कि टेनिस के कोर्ट पर ...वो भी धोनी जैसे धुरंदर ही है....

रवीश बिष्ट ...( धोनी-आर्मी के संस्थापक)
क्रिएटिड बाय रजनीश कुमार

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