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खेल से खेल तक

रविवार, 19 जुलाई 2009

धोनी से प्रभावित हैं रविश विष्ट


धोनी मेनिया का फैलता प्रभाव

जब कोई बीमार होता है तो हम उसे डॉक्टर के पास ले जाकर उसका इलाज करवातें है। आप ही सोचिए अगर कोई बीमार होते हुए भी बीमार नहीं हो तो आप क्या करेंगे। चक्कर खा गए न आप..मैं भी सोच में पड़ गया था इन सवालों को लेकर। लाइव इंडिया के एंकर और खेल संवाददाता रविश विष्ट एक मेनिया के शिकार है ये मेनिया बुरा नहीं बल्कि बहुत अच्छा है रविश धोनी मेनिया के शिकार है। रविश जब भी धोनी के बारें में सोचतें या पढ़तें है या फिर साफ शब्दों में धोनी का भूत इनके सर सवार हो गया तो उस दिन रविश धोनी पर एक लेख लिखे बिना मानतें नहीं है। ये अच्छी बात है कि मीडिया की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा वक्त निकालकर रविश अपने मन की शांति के लिए कुछ लिख तो लेते है।
स्पोर्ट्स के ऑफिसियल ब्लॉग पर अपने लेख लिखने वाले रविश के बारें में मैं एक बात आप लोंगों से शेयर करना चाहता हूं । बात उन दिनों की जब टीम इंडिया कुछ दिनों के लिए क्रिकेट से दूर छुट्टियां मना रहीं थी उस वक्त हमारें धोनी महाशय फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में एक निजी चैनल के लिए एक एड की शूटिंग कर रहें थे..ये बात रविश को पता चली तो रविश सीधे कोटला स्टेडियम पहुंच गए....रविश पहुंच तो गए लेकिन एक समस्या उनके सामने खड़ी हो गई ...कैमरा मैन को स्टेडियम के अंदर जाना मना था ऐसी स्थिति में रविश ऑफिस फोन करके कैमरे वाला फोन मंगवाया औऱ शूट किया। ये पढ़ कर तो आप समझ ही गए होंगे की रविश बीमार नहीं बल्कि घोनी मेनिया जर्नलिस्ट है। इसके अलावा आईपीएल के दौरान चेन्नई सुपरकिंग्स के मैच वाले दिन अगर चेन्नई सुपरकिंग्स की टीशर्ट गलती से कोई औऱ पहन लें तो उसे उतारना पड़ता था क्योंकि धोनी टीम के सपोर्टर रविश ये कतई बर्ताश्त नहीं कर सकतें थे कि कोई औऱ उनकी फेवरेट टीम की जर्सी को हाथ लगाए।
ऐसे में एक दिन हमारे ऋषभ भाई ने एक दिन चेन्नई टीम की जर्सी पहन ली तो ऐसी स्थिति में रविश ने एंकरिंग करने से मना कर दिया आखिर में हमारें ऋषभ भाई को जर्सी उतारनी पड़ी। तो ये था रविश की धोनी मेनिया की कुछ राम कहानी। इंसानी जिंदगी में लोगों की मानसिकता ऐसी होती ही है कि वो किसी न किसी क्रिकेटर का मुरीद हो जाता है। अगर कोई क्रिकेटर का मुरीद नहीं होता तो वो हीरो का हो जाएगा या फिर किसी नेता हो जाएगा या फिर किसी महापुरूष का मुरीद हो जाता है। ऐसी स्थिती में लोग सबकुछ भूलकर अपने फेवरेट के बारें में सोचना शुरू कर देता है ऐसा करना कोई बीमारी नहीं बल्कि ये एक प्रकार का मेनिया होता है जो जिंदगी भर उस आदमी के साथ जुड़ा रहता है। रविश आज कामयाबी की ओर अग्रसर है धोनी भी अपनी किस्मत की बदौलत नए नए कारनामें कर रहा है तो हम यही कह सकते है रविश औऱ धोनी की जोड़ी है बेमिसाल।

रजनीश कूमार
खेल संवाददाता

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