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खेल से खेल तक

मंगलवार, 14 अगस्त 2012


लंदन में नही दिखा विजेंदर का जलवा रिंग के किंग माने जाने वाले भारतीय बॉक्सर विजेंदर सिंह की...विजेंदर सिंह का सफर लंदन ओलंपिक में बिना पदक के ही थम गया... भारत का ये बड़े नाम वाला बॉक्सर क्वार्टरफाइनल से भी आगे नहीं बढ़ सका...लेकिन विजेंदर के इस तरह से बैरंग लौटने के पीछे की वजह उनका खराब प्रदर्शन कम बल्कि ओवर कॉन्फीडेंस ज्यादा लगता है। क्योंकि विजेंदर क्वार्टरफाइनल मुकाबले में उस बॉक्सर से हारे... जिसे वो इससे पहले दो बार हरा चुके थे। कामयाबी जब सिर चढ़ कर बोलने लगे ...तो उसकी आवाज औऱ फितरत...घमंड की शक्ल अख्तियार कर लेती है....क्योंकि कामयाबी का नशा...नशीला ही नहीं बल्कि...ज़हरीला भी होता है....ये बातें आपको लोकोक्ती सी लग रही होंगी...लेकिन ये किसी की हकीकत है...जी हां हम बात कर रहे हैं.... लंदन ओलंपिक में भारतीय बॉक्सिंग टीम के स्टार बॉक्सर विजेंदर सिंह की...जिसने अपने खराब प्रदर्शन से 121 करोड़ हिंदुस्तानियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। 75 किलोग्राम की कैटेगरी में...विजेंदर का सफर क्वार्टरफाइनल मैच में ही थम गया...हार के बाद इस बड़बोले खिलाड़ी ने यहां तक कह दिया कि...कई बार गलतियां हो जाती हैं....जिसके बारे में वो कुछ भी नहीं कर सकते है.... लेकिन यही गलती अगर ओवर कॉफिडेंस के चलते हो तो उसे क्या कहा  जाता है ये पूरी दुनिया जानती है.....बीजिंग में ब्रॉज जीतने के बाद..विजेंदर पर स्टारडम इस कदर हावी हुआ कि...लंदन में उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा....हालांकि 2010 में हुए एशियन गेम्स में गोल्ड हासिल करने बाद भारत के रॉकी से काफी उम्मीदें भी की जाने लगी थी...लेकिन स्टारडरम एक बार फिर विजेंदर पर सवार हो गया और वो मायानगरी की गलियोँ में गुम होते चले गए....चैलेंज मिलने पर भी ट्रेनिंग में कोताही बरतने और ग्लैमर की दुनिया में मौज करने के लिए विजेंदर की अक्सर  आलोचना की जाने लगी... विजेंदर ने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट होकर...2011 के अपनी फॉर्म खोते चले गए...जिसकी वजह से लंदन ओलंपिक में उन्होंने मेडल पर संदेहों की गुंजाइश छोड़ दी ....और विजेंदर ने बॉक्सिंग स्टार का तमगा जो हासिल किया.. वो भी संभाल नहीं सके....जिसका खामियाजा उन्हें इस अंदाज में भुगतना पड़ेगा ये विजेंदर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा.....मिशन ओलंपिक चाहे मामला बदकिस्मती का हो या विशुद्ध आत्मसंतोष का...क्वार्टरफाइनल में मिली हार से विजेंदर अपने चरम से कोसों दूर हो गए...औऱ इसका जिम्मेदार कोई औऱ नहीं बल्कि खुद...विजेंदर सिंह ही हैं...क्योंकि अपने फैन्स की उम्मीदों पर पानी फेरने की वजह...अगर सिर्फ खेल होती तो बात कुछ औऱ होती....लेकिन विजेंदर के ओवर कॉफिडेंस पंच ने एक ही झटके में सब कुछ खत्म कर दिया...अब देखना ये दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में विजेंदर सिंह...तीखे सवालों का जवाब...तीखे अंदाज में देते हैं या फिर अपने खेल से देंगे...

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