
पुरानी बोतल में पुरानी ही शराब
टीम इंडिया के मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर ने हैमिल्टन टेस्ट में 160 रनों की शानदार पारी खेलकर ये साबित कर दिया कि उनके करियर की राह में कभी उम्र रोड़ा बन ही नही सकता।
हैमिल्टन टेस्ट में मिली जीत पूरी टीम इंडिया के लिए और भारत के क्रिकेट फैंस के लिए तो खास था ही इसके साथ –साथ क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के लिए काफी यादगार रहेगा। 33 साल बाद किवी की सरजमीं पर मिली जीत से कप्तान माही इतने खुश हुए कि वो जीत का सेहरा मैन ऑफ द मैच रहे सचिन के सर ही बांध दिया। सचिन भी इस लम्हे को जीने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। और छोड़े भी क्यों क्योंकि ये प्रदर्शन सचिन के अब तक का न्यूज़ीलैंड दौरे पर सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन था। सचिन को सन्यास लेने की सलाह देने वाले आलोंचको ने भी अपने सुर अब बदल लिए है औऱ मास्टर ब्लास्टर को लंबी रेस का घोड़ा बता रहे है।
खैर हैमिल्टन टेस्ट जीत कर तो टीम इंडिया ने इतिहास तो रच ही दिया इसके साथ साथ सचिन की बल्लेबाजी और जवां भी कर दिया है। सचिन के बारें में जितनी भी तारीफें की जाए वो कम है ...सचिन जैसा पहले थे अब भी वैसा ही है...यानि सचिन की बल्लेबाजी में जो अंदाज उनके डेब्यू टेस्ट मैच कराची में था वो अब भी बरकरार है..हालांकि भले ही सचिन अपने पहले टेस्ट मैच में ज्यादा रन स्कोर करने में कामयाब नहीं हुए थे लेकिन उनकी बल्लेबाजी का स्टाइल उस वक्त सब कुछ बयां कर गया। सचिन को अपना पहला टेस्ट शतक जमाने में करीब एक साल लग गए।
टीम इंडिया के मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर ने हैमिल्टन टेस्ट में 160 रनों की शानदार पारी खेलकर ये साबित कर दिया कि उनके करियर की राह में कभी उम्र रोड़ा बन ही नही सकता।
हैमिल्टन टेस्ट में मिली जीत पूरी टीम इंडिया के लिए और भारत के क्रिकेट फैंस के लिए तो खास था ही इसके साथ –साथ क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के लिए काफी यादगार रहेगा। 33 साल बाद किवी की सरजमीं पर मिली जीत से कप्तान माही इतने खुश हुए कि वो जीत का सेहरा मैन ऑफ द मैच रहे सचिन के सर ही बांध दिया। सचिन भी इस लम्हे को जीने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। और छोड़े भी क्यों क्योंकि ये प्रदर्शन सचिन के अब तक का न्यूज़ीलैंड दौरे पर सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन था। सचिन को सन्यास लेने की सलाह देने वाले आलोंचको ने भी अपने सुर अब बदल लिए है औऱ मास्टर ब्लास्टर को लंबी रेस का घोड़ा बता रहे है।
खैर हैमिल्टन टेस्ट जीत कर तो टीम इंडिया ने इतिहास तो रच ही दिया इसके साथ साथ सचिन की बल्लेबाजी और जवां भी कर दिया है। सचिन के बारें में जितनी भी तारीफें की जाए वो कम है ...सचिन जैसा पहले थे अब भी वैसा ही है...यानि सचिन की बल्लेबाजी में जो अंदाज उनके डेब्यू टेस्ट मैच कराची में था वो अब भी बरकरार है..हालांकि भले ही सचिन अपने पहले टेस्ट मैच में ज्यादा रन स्कोर करने में कामयाब नहीं हुए थे लेकिन उनकी बल्लेबाजी का स्टाइल उस वक्त सब कुछ बयां कर गया। सचिन को अपना पहला टेस्ट शतक जमाने में करीब एक साल लग गए।
1990 में मैनचेस्टर में इंग्लैड के खिलाफ खेलते हुए सचिन दूसरी पारी में नाबाद 119 रन बनाए। तब से शुरू मास्टर का शतक बनाने का सिलसिला अब भी चल रहा है। पहला टेस्ट शतक 1990 में औऱ 42 टेस्ट शतक 2009 में यानि अपने 20 साल के अब तक के करियर में सचिन ने अपने अंदाज को नहीं बदला और न ही नाकामयाबी को कभी अपने ओऱ बढने दिया...इतिहास गवाह है जब जब सचिन पर सवाल उठा है तो मास्टर ब्लास्टर ने उसका जवाब अपने बल्ले से दिया है। अपने खेलने के अंदाज के बारे सचिन कहते है कि उनका अंदाज जो 20 साल पहले था अब भी वही है। इस 20 साल के दौरान क्रिकेट बदल गया, जुनून बदल गया, हालात बदल गए, अगर कोई नहीं बदला तो सचिन नहीं बदले। यानि हम कह सकते है कि पुरानी बोतल में पुरानी ही शराब।
-----रजनीश कुमार खेल पत्रकार


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