
सफरनामा
कभी रांची और आसपास के इलाकों में अपने बल्ले की चमक से नाम कमाने वाले
टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी... अब विश्व में अपने जौहर का परचम
लहरा रहे हैं....लेकिन आज भी उनके कई फैन्स इस बात से तस्दीक नहीं रखते कि... कैसे
एक स्मॉल टाउन बॉय ने गली क्रिकेट से लेकर अपनी जगह आईसीसी के नंबर वन बल्लेबाज
या फिर टीम इंडिया के अब तक के बेहतरीन कप्तानों में से एक में बनाई है।
शुरू से बाइक्स के शौकीन रहे माही शायद अपने अंदर छिपे हुनर को
बहुत पहले भाप चुके थे..तभी तो स्कूल लीग के फाइनल में उनके द्वारा लगाई गई ताबड़तोड़
डबल सेंचुरी हो या फिर इंडिया ए की ओर से खेलते हुए केन्या में बनाई गई सेंचुरी हो.
हर मोर्चे पर महेंद्र सिंह धोनी कामयाबी की ओऱ बढ़ रहे थे और लगातार अपने आप को साबित भी करते जा रहे थे।
माही ने चयनकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिरकार छोटे शहरों में भी बड़े
लेवल पर प्रतिभा दिखाने वाले प्लेयर्स की कमी नहीं है...यही वजह थी की ईस्ट जोन के
चयनकर्ताओं के बीच माही ने अपने चयन को लेकर बहुत पहले ही खलबली मचा दी थी..
धोनी ने विकेट के पीछे अपने शानदार कीपिंग और पिच पर अपने विस्फोटक बल्लेबाजी से ये साबित कर दिया कि उनके जैसे प्रतिभाशाली प्लेयर को टीम इंडिया की सख्त जरुरत है..क्योंकि बीसीसीआई भी नयन मोंगिया जैसे कीपर के बाद कभी भी एक स्थाई और भरोसेमंद कीपर-बल्लेबाज नहीं ढ़ूढ़ पाए...जबकि दुनिया की टॉप टीमों के पास गिलक्रिस्ट,परोरे,बाउचर जैसे शानदार कीपर और बल्लेबाज थे..माही भी इसी लिस्ट में शुमार होना चाहते थे...
लेकिन इस दावे को और पक्का किया झारखंड क्रिकेट एसोशिएसन के प्रमुख अमिताभ चौधरी ने जिन्होंने धोनी के अपने सामने क्रिकेट को तराशते देखा है...एक प्रभावशाली आईपीएस अधिकारी के साथ चौधरी एक कुशल मैनेजर भी हैं..जिसकी बदौलत बीसीसीआई ने उन्हें विदेशी दौरे पर टीम इंडिया का मैनेजर भी नियुक्त किया था..चौधरी के साथ सौरभ गांगुली से बेहतर रिश्ते भी इस बात का प्रमाण है कि धोनी ने आखिरकार कैसे टीम इंडिया में दस्तक दी...भले ही धोनी ने अपने बलबूते पर आज भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई रिकॉरड्स पर सालों से लगे ब्रेक को बदलने में देर नहीं की हो लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए अपने माही ने सपनों का रेला जरुर लगाया था...तो फिर ये माही को हम क्यों न कहें...माही देट्स द वे माही वे ।
टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी... अब विश्व में अपने जौहर का परचम
लहरा रहे हैं....लेकिन आज भी उनके कई फैन्स इस बात से तस्दीक नहीं रखते कि... कैसे
एक स्मॉल टाउन बॉय ने गली क्रिकेट से लेकर अपनी जगह आईसीसी के नंबर वन बल्लेबाज
या फिर टीम इंडिया के अब तक के बेहतरीन कप्तानों में से एक में बनाई है।
शुरू से बाइक्स के शौकीन रहे माही शायद अपने अंदर छिपे हुनर को
बहुत पहले भाप चुके थे..तभी तो स्कूल लीग के फाइनल में उनके द्वारा लगाई गई ताबड़तोड़
डबल सेंचुरी हो या फिर इंडिया ए की ओर से खेलते हुए केन्या में बनाई गई सेंचुरी हो.
हर मोर्चे पर महेंद्र सिंह धोनी कामयाबी की ओऱ बढ़ रहे थे और लगातार अपने आप को साबित भी करते जा रहे थे।
माही ने चयनकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिरकार छोटे शहरों में भी बड़े
लेवल पर प्रतिभा दिखाने वाले प्लेयर्स की कमी नहीं है...यही वजह थी की ईस्ट जोन के
चयनकर्ताओं के बीच माही ने अपने चयन को लेकर बहुत पहले ही खलबली मचा दी थी..
धोनी ने विकेट के पीछे अपने शानदार कीपिंग और पिच पर अपने विस्फोटक बल्लेबाजी से ये साबित कर दिया कि उनके जैसे प्रतिभाशाली प्लेयर को टीम इंडिया की सख्त जरुरत है..क्योंकि बीसीसीआई भी नयन मोंगिया जैसे कीपर के बाद कभी भी एक स्थाई और भरोसेमंद कीपर-बल्लेबाज नहीं ढ़ूढ़ पाए...जबकि दुनिया की टॉप टीमों के पास गिलक्रिस्ट,परोरे,बाउचर जैसे शानदार कीपर और बल्लेबाज थे..माही भी इसी लिस्ट में शुमार होना चाहते थे...
लेकिन इस दावे को और पक्का किया झारखंड क्रिकेट एसोशिएसन के प्रमुख अमिताभ चौधरी ने जिन्होंने धोनी के अपने सामने क्रिकेट को तराशते देखा है...एक प्रभावशाली आईपीएस अधिकारी के साथ चौधरी एक कुशल मैनेजर भी हैं..जिसकी बदौलत बीसीसीआई ने उन्हें विदेशी दौरे पर टीम इंडिया का मैनेजर भी नियुक्त किया था..चौधरी के साथ सौरभ गांगुली से बेहतर रिश्ते भी इस बात का प्रमाण है कि धोनी ने आखिरकार कैसे टीम इंडिया में दस्तक दी...भले ही धोनी ने अपने बलबूते पर आज भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई रिकॉरड्स पर सालों से लगे ब्रेक को बदलने में देर नहीं की हो लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए अपने माही ने सपनों का रेला जरुर लगाया था...तो फिर ये माही को हम क्यों न कहें...माही देट्स द वे माही वे ।
-----------कुमार विकास सिंह पत्रकार


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