
युवराज सिंह के संघर्ष की वैसे तो कई कहानियां हैं ... लेकिन अब युवराज सिंह ने अपनी किताब के ज़रिए ... अपनी ज़िदगी के उस दौर को दुनिया के सामने रखा है ... जिसके दौरान देश का बच्चा-बच्चा युवी के लिए दुआएं मांग रहा था। कैंसर के खिलाफ अपनी ज़िंदगी की जंग जीतकर ... जिस किताब को लिखने का वादा युवराज ने किया था आखिरकार वो किताब अब रिलीज़ हो गई है ... किताब का नाम है THE TEST OF MY LIFE ...
कहीं छलक ना पड़े आंसू ... कहीं टूट ना जाए ख्वाहिश ... औऱ कहीं हार ना जाए जिंदगी । अमेरिका में इन सवालों के बीच जब बीते साल युवराज सिंह कैंसर ... या कहें मौत से अपनी ज़िदगी की जंग लड़ रहे थे तो खुद युवराज भी नहीं जानते थे ... कि आने वाला वक्त दुनिया के सामने उन्हें एक प्रेरणा ... एक मिसाल
बनाकर खड़ा कर देगा। लेकिन हकीकत यही है कि युवी का पहले तो कैंसर के खिलाफ अपनी ज़िंदगी की बाज़ी जीतना
... और फिर क्रिकेट की पिच पर कामयाब वापसी करना ... वजह बना संघर्ष औऱ जज़्बे की वो कहानी लिखने के लिए जिसका नाम टीम इंडिया के सिक्सर किंग ने ... The Test Of My Life रखा है।
(इस किताब में ऐसी कई बातें हैं जो किसी के लिए प्रेरणा बनेंगी ... मैंने लिखा है इसके पीछे मेरा कोई औऱ मकसद नहीं है)
200 पन्नों की अपनी किताब में युवी ने विस्तार से बताया है कि कैंसर के कारण उनकी जिंदगी में क्या-क्या बदलाव हुए। कैसे
भारत को 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले युवी को खुद को हुई इस जानलेवा बीमारी का पता चला ... औऱ कैसे अमेरीका
के बोस्टन शहर में दो महीनों से भी ज्यादा समय तक अपने इलाज के दौरान उन्हें रिश्तों, दोस्तों और ज़िंदगी के असल मायनों का अहसास हुआ। अपनी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल वक्त के बारे में लिखकर युवी ने ... किताब में ये बताने की कोशिश भी की है कि कैसे अमेरिका में इलाज के दौरान कई छोटी-छोटी बातें उन्हें भावुक कर देती थीं।
(ये आसान नहीं था कि उस दौर को फिर से याद करूं जब मैं कैंसर से जूझ रहा था ... लेकिन वो बातें मेरी ज़िंदगी का ही हिस्सा थीं और मुझे लगा कि ऐसी तमाम बातें अगर कैंसर से लड़ाई लड़ रहे दूसरे लोगों को जानने को मिलेंगी तो इसका सिर्फ फायदा ही होगा।)
अमरीका से इलाज कराने के बाद भारत लौटने के अनुभवों को भी युवराज ने अपनी किताब में विस्तार से लिखा है ... The Test Of My Life युवराज की वो कहानी है ... जिसे उन्होंने कैंसर से पहले जिया ... कैंसर के दौरान जिया ... औऱ जिसे वो कैंसर के बाद जीना चाहते हैं। ये कहानी है संघर्ष की ... इंकार की ... कबूलने की ... और उसके बाद नए संघर्षों की। दूसरे लफ्ज़ों में युवराज इस किताब के ज़रिए वो कहानी उन लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं ... जिससे ऐसे हालात में जी रही लोग ये न समझें कि वो अकेले हैं।
लेखक
रजनीश कुमार
http://www.youtube.com/watch?v=rvlUUEW0lmo
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