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खेल से खेल तक

सोमवार, 4 मार्च 2013

हैदराबाद में पुजारा की कहानी


भले ही हैदराबाद टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा का दोहरा शतक ... आज हर तरफ सुर्खियां बटोर रहा हो । लेकिन एक हकीकत ये भी है कि क्रीज़ पर अगर पुजारा को ... मुरली विजय का साथ नहीं मिला होता तो शायद टीम इंडिया इतनी मज़बूत स्थिती में नहीं होती। हैदराबाद टेस्ट में पुजारा औऱ मुरली विजय की 370 रनों की पार्टनरशिप ने ... ना सिर्फ कंगारूओं का जीना मुहाल कर दिया ... बल्कि रिकॉर्ड बुक्स में भी शानदार ढंग से एंट्री दिला दी।  एक तरफ से हो रहा था मुरली विजय का वार...तो दूसरी तरफ से जारी था पुजारा का पुरज़ोर प्रहार...एक तरफ था एम विजय का विश्वास...तो दूसरी तरफ ...चट्टान की तरह क्रीज़ पर खड़े  थे चेतेश्वर पुजारा ....जी हां...हैदराबाद टेस्ट में टीम इंडिया की पहली पारी में ये वो कहानी थी...जिसने क्लार्क एंड कंपनी के गेंदबाजों की बखिया उधेड़ कर रख दी...देखते ही देखते हैदराबाद के इन HEROES ने वो कारनामा कर दिया..जिसके बाद भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उनका नाम सुनहरे अख्शरों में दर्ज हो गया ...370 रनों की पहाड़ जैसी साझेदारी करने के बाद टीम इंडिया की नई दीवार पुजारा और मुरली विजय भारत की ओर से दूसरे विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी करने वाले बल्लेबाज बन गए है...  GFXIN:- मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा ने दूसरे विकेट के लिए रिकॉर्ड तोड़ साझेदारी करते हुए 109.4 ओवर्स में 370 रन बना डाले जिसमें पुजारा के 198 और मुरली विजय के 159 रनों का योगदान रहा GFX OUT   इस साझेदारी के साथ ही पुजारा और मुरली विजय ने GFX IN:-35 साल पुराने सुनिल गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर के 344 रनों की साझेदारी को रिकॉर्ड को तोड़ा जो उन्होंने 1978 में वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता मे बनाई था GFX OUT       दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 294 की साझेदारी कर चुकी...टीम इंडिया की इस जोड़ी ने तीसरे दिन का खेल शुरू होते ही टीम इंडिया के साथ-साथ वर्ल्ड क्रिकेट के की दिग्गज जोड़ियों का रिकॉर्ड तोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया...फिर चाहे वो द्रविड़ और गंभीर की जोड़ी हो या डॉन ब्रैड मैन और आर्थर मौरिस यी फिर इंग्लैंड के बल्लेबाज ट्रॉट और एलिस्टर कुक की...आलम ये रहा की 167 के नीजि स्कोर पर मुरली विजय विकेट गिरने तक   370 की साझेदारी के साथ ये जोड़ी वर्ल्ड क्रिकेट में दूसरे विकेट के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाली छठी जोड़ी बन गई   साफ है...इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने...लगातार कमजोर दिख रहे टीम इंडिया के ना सिर्फ टॉप आर्डर की परेशानी को दूर कर दिया है...बल्कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद में ऐसा हल्ला बोला...जिसने मैच के तीसरे ही दिन जीत की उम्मीदों को भी पंख लगा दिए।  इसमें कोई शक नहीं कि हैदराबाद टेस्ट में अगर टीम इंडिया ... जीत का दहलीज़ पर खड़ी है तो उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ ... चेतेश्वर पुजारा का दोहरा शतक ही ज़िम्मेदार है।  वो पुजारा ही थे जिनकी हैदराबाद में खेली 204 रनों की मैराथन पारी ने ... ना सिर्फ कंगारू गेंदबाज़ों का आत्मविश्वास तोड़ा ... बल्कि टीम इंडिया को पहली पारी में ऐसी बढ़त भी दिला दी ... जिसकी खुद धोनी ने भी शायद ही उम्मीद की थी। टीम इंडिया की नई दीवार के बल्ले से निकला ये वही डबल धमाका था...जिसने रफ्तार को दम भर रहे कंगारूओं को कोना पकड़ कर रोने के लिए मजबूर कर लिया...पहली पारी में सिर्फ 17 रनों पर सहवाग का विकेट हासिल करने के बाद...ऑस्ट्रेलियाई आंधी अपने उफान पर थी...लेकिन चेतेश्वर जैसी चट्टान ने उनका ऐसे रास्ता रोक लिया...जिसका जवाब कंगारूओं की पूरी बटालियन के पास दिखाई तक नहीं दिया...RELIEF   क्या तेज़ गेंदबाज़ और स्पिनर्स कंगारू कप्तान ने अपना हर हथियार आज़मा कर देख लिया...लेकिन चेतेश्वर नाम की चट्टान टस से मस नहीं हुई...पुजारा के प्रहार का मानो किसी के पास कोई जवाब था ही नहीं...RELIEF   क्या कवर ड्राइव...क्या अपर कट...पुल शॉट्स...स्टेट ड्राइवस और क्या डिफेंस...पुजारा ने अपनी बल्लेबाज़ी में वो प्रहार किए...जिसे कंगारूओं के पास खड़े रह कर देखने के अलावा कोई ओर चारा था ही नहीं...RELIEF बात चेतेश्वर नाम की चट्टान की हो...तो  पुजारा के बल्ले से बने पहले 15 रन 55 गेंदों पर निकले...   लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुजारा आक्रामक हुए...   तो डबल धमाके को उन्होनें 332 गेंदों पर पूरा कर डाला...यानि 204 रनों में से 186 रन उन्होनें 277 गेंदों पर ही ठोक डाले...पुजारा के दोहरे शतक में 30 चौके और 1 छक्का शामिल रहा .   ज़ाहिर...तौर पर हैदराबाद में टीम इंडिया की नई दीवार के डबल धमाके का यही वो दम रहा...जिसने ना सिर्फ धोनी ब्रिगेड को जीत का डंका बजाने की दहलीज़ पर ला खड़ा किया...बल्कि खुद पुजारा को टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा लड़ैया साबित कर दिया।     हैदराबाद टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा की दोहरी शतकीय पारी ने ... टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ड्राइविंग सीट पर बिठा दिया है । आज हर कोई पुजारा की तारीफों के पुल बांध रहा है ... तो साथ ही ये भी कह रहा है कि टीम इंडिया को अब प्लेइंग-11 में राहुल द्रविड़ की कमी नहीं खलेगी ... क्योंकि पुजारा ही हैं धोनी ब्रिगेड की नई दीवार। भारतीय क्रिकेट की दीवार के नाम से जाने-जाने वाले राहुल द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद ... क्रिकेट फैन्स को फिक्र थी कि जेंटलमैन गेम मे तीसरे नंबर पर आखिर कौन द्रविड़ की जगह लेगा ?  लेकिन पहले इंग्लैंड और फिर ऑस्ट्रेलिया जैसी दमदार टीमों के खिलाफ एक के बाद एक दो-दो दोहरे शतक जमाने वाले ... चेतेश्वर पुजारा ने आखिर साबित कर दिया है कि अगर टीम इंडिया में कोई भी बल्लेबाज़ राहुल द्रविड़ का विकल्प ... या फिर तीसरे नंबर पर खेलने की ज़िम्मेदारी उठाने का उत्तराधिकारी है ... तो वो सिर्फ चेतेश्वर पुजारा ही हैं। सिर्फ 25 साल की उम्र में गज़ब का आत्मविश्वास ... औऱ चट्टान के जैसा संयम दिखाकर पुजारा ने एक बार फिर ... टीम के प्लंइंग-11 में अपनी जगह और ज़रूरत दोनों को पक्का कर लिया है।     मैच दर मैच औऱ सीरीज़ दर सीरीज़ खुद को ... टेस्ट फॉर्मेट में साबित करते आ रहे पुजारा ने जहां इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर के छठे ही मैच में ... दोहरा शतक जमाया था । तो हैदराबाद में भी कंगारूओं के खिलाफ अपनी बल्लेबाज़ी से ऐसा समां बांधा की क्रिकेट के दिग्गज भी उन्हें दीवार कहकर पुकारने को मजबूर हो गए।  राहुल द्रविड़ को अपना आदर्श मानने वाले चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाज़ी में ... हैदराबाद टेस्ट के दौरान वो ज़िम्मेदारी का अहसास दिखा जो कभी ... टीम इंडिया का सीनियर होने के नाते राहुल द्रविड़ में दिखाई देता था। इतना ही नहीं 341 गेंदों पर खेली 204 रनों की पारी के अलावा ... हैदराबाद टेस्ट में पुजारा की मुरली विजय के साथ ... 370 रनों की पार्टनरशिप साफ दिखा रही थी कि ... चेतेश्वर कंगारूओं पर बढ़त बनाने के लिए किसी भी औऱ बल्लेबाज़ पर ... भरोसा करने को तैयार नहीं थे ।  ऐसी मुश्किल विकेट जिसपर टीम इंडिया के 9 विकेट सिर्फ 116 रनों पर गिर गए थे ... पुजारा ने ना सिर्फ कंगारूओं का दीवार की तरह सामना किया ... बल्कि साबित कर दिया कि वही राहुल राहुल द्रविड़ के टीम में अगले उत्तराधिकारी हैं। सिर्फ 11 टेस्ट मैच के छोटे से करियर में दो-दो दोहरे शतक बना चुके चेतेश्वर पुजारा ... आज अपनी इन्हीं बड़ी पारियों की बदौलत टीम इंडिया में अलग पहचान बना चुके हैं।  लेकिन हकीकत तो ये है कि घरेलू क्रिकेट खेलने के दिनों से ही ... पुजारा छोटी नहीं बल्कि बड़ी पारियों के लिए ही जाने जाते रहे हैं। आंकड़े गवाह है कि एक बार पुजारा के विकेट पर कदम जमे ... तो गेंदबाज़ उनकी विकेट लेने के लिए सिर्फ तरसते रहे हैं। महज़ 11 टेस्ट मैचों के करियर में पुजारा ने एक और दोहरा शतक अपने नाम कर लिया ... RELIEF जो वाकई लाजवाब है ... लेकिन जो पुजारा को जानते हैं...उनके लिए पुजारा की ये एक और सुपर पारी ... शायद ही हैरान करनी वाली हो... क्योंकि टीम इंडिया का ये नया दबंग बल्लेबाज़ तो पहले से सी बड़ी पारियों का बादशाह है ... RELIEF ... वो जानते हैं कि पुजारा का बल्ला अगर मैदान में अपना खूंटा गाड दे ...तो फिर विरोधी गेंदबाज़ कितना ही ज़ोर क्यों ना लगा लें ... पुज़ारा को हिला पाना भी नामुमकिन हैं... RELIEF ... जिसकी मिसाल फैंस ने हैदराबाद में भी देख ली ... लेकिन डोमेस्टिक सर्किट के उनके रिकॉर्ड पर नज़र डाले तो आपको भी यकीन हो जाएगा ... कि सेट होने के बाद पुजारा कितने खतरनाक हो  जाते हैं       रणजी ट्रॉफी में साल 2006/07 में तमिलनाडू के खिलाफ 177 की पारी ... फिर साल 2008/09 में उड़ीसा के खिलाफ 302 रन ... इसके बाद इसी साल पंजाब के खिलाफ 189 रन ...तो मुंबई के खिलाफ 176... फिर अगले सीज़न (साल 2009/10) माहाराष्ट्र के खिलाफ नाबाद 204 रन की  पारी भी पुजारा के बल्ले से आई... इसके बाद इसी सीज़न मध्य प्रदेश के खिलाफ नाबाद 203 रन भी बने....और फिर हाल ही में ... कर्नाटक के खिलाफ कहर बरपाते हुए रणजी के क्वार्टरफाइनल मुकाबले में 352 रनों की मैराथन पारी ने तो सबको उनका मुरीद ही बना दिया     साफ है पुजारा के बल्ले से निकलीं एक से बढ़कर एक इन मैराथन पारियों को देख अब तो ये अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है...कि पुजारा के वार में कितना दम है ...जो एक बार अगर सेट हो जाए ...तो वक्त के साथ और घातक ही होता जाता है ... यानी कहा जा सकता ... अगर पुजारा आगे भी टीम इंडिया के लिए कुछ इसी नज़र आए...तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए । चेतेश्वर पुजारा को क्रीज़ पर खेलते हुए देखकर उनके संयम की तारीफ करने का मन करता है ... लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी ... कि अगर बात क्रिकेट की पिच से हटकर की जाए तो भी ... चेतेश्वर पुजारा जैसी संकल्प और मज़बूत इच्छा शक्ति शायद ही ... इतनी कम उम्र के किसी और क्रिकेटर में देखने को मिले।  आप भी देखिए कैसे कुछ ही महीनों पहले तक बैसाखियों के सहारे चलने वाले चेतेश्वर ... आज चैंपियन क्रिकेटर बन गए। पहले मोटेरा में इंग्लैंड के खिलाफ ... और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद टेस्ट । जेंटलमैन गेम के सबले बड़े फॉर्मेट में दो-दो दोहरे शतक बनाने के बाद ...  चेतेश्वर पुजारा के चेहरे पर दिखी सुकून भरी ये मुस्कान ... भले ही आम क्रिकेट फैन्स को सिर्फ उनके दोहरे शतक के जश्न की तस्वीर लगी हो। लेकिन हकीकत में ये तस्वीर उस मेहनत और साधना का फल है ... जिसके दर्द का अहसास सौराष्ट्र के इस चैंपियन क्रिकेटर ने पिछले 4 साल में किया है। हकीकत में बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं ... कि टीम इंडिया में नई दीवार के नाम से अपनी पहचान बना चुके पुजारा साल 2009 में ऐसी चोट से गुज़रे थे कि उन्हें ... डॉक्टर्स तक ने क्रिकेट छोड़ने तक की सलाह दे डाली थी।   . साल 2009 में लगी चोट   जी हां ... फटाफट क्रिकेट की मेगालीग IPL के दूसरे सीजन में चेतेश्वर पुजार को बाएं घुटने में ऐसी चोट लगी थी ... जिसके बाद उनका क्रिकेट करियर दांव पर लग गया था। आलम ये था कि डॉक्टर्स की सलाह पर उन्हें अपने घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा था ... इतना ही नहीं उन्हें क्रिकेट पिच से महीनों तक दूर भी रहना पड़ा था। कई जानकारों को लगा कि पुजारा फिर कभी क्रिकेट नहीं खेलेंगे ... लेकिन पुजारा ने हार नहीं मानी और सिर्फ 6 महीने बाद क्रिकेट की पिच पर वापसी कर जानकारों को गलत साबित कर दिया।     - साल 2012 में फिर लगी चोट   वक्त और किस्मत पुजारा पर धीरे-धीरे मेहरबान होने लगे थे ... लेकिन आईपीएल एक बार फिर पुजारा की किस्मत में ब्रेक लगाने की बड़ी वजह बना। इस बार सीजन-5 में पुजारा को उनके दाएं घुटने में चोट लगी। वो भी ठीक उस वक्त जब उनकी टीम इंडिया में जगह बिलकुल तय थी ... इस बार भी पुजारा को ऑपरेशन से गुजरना पड़ा ... जिसके बाद पुजारा 4 महीने तक अपने पैरों पर खडे नहीं हो पाए। लेकिन हार ना मानते हुए पुजारा ने पिच पर अपनी अगली वापसी के लिए ... फिर से मेहनत की औऱ वक्त को भी धोखा दे दिया।     बहरहाल अंत भला तो सब भला ... क्योंकि आज चेतेश्वर पुजारा वो नाम है ... जिसे ना सिर्फ भारतीय बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट में किसी पहचान की ज़रूरत नहीं। सिर्फ 11 मैच लंबे टेस्ट करियर में दो-दो दोहरे शतक बना चुके पुजारा की मेहनत का इस्तेकबाल ... आज पूरी दुनिया कर रही है। या कहें आज हौसले औऱ जज्बे की वो मिसाल हैं जिससे भविष्य में भारतीय क्रिकेट को ना जाने कितने पुजारा मिलेंगे।

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