sportskhabar.blogspot.in

sportskhabar.blogspot.in
खेल से खेल तक

रविवार, 24 मार्च 2013

आज सचिन का दिन है.....क्या ये यादगार विदाई थी ?


टीम इंडिया ने तो सचिन की विदाई को यादगार बना दिया... लेकिन जिस तरह से दिल्ली टेस्ट और पूरी सीरीज़ में सचिन ने औसत प्रदर्शन दिखाया ... वो जरूर फैंस को निराश कर गया...खासतौर पर दिल्ली टेस्ट की दोनों पारियों में जिस तरह से सचिन आउट हुए... वो ये दिखाता है कि अब सचिन पर उनकी उम्र हावी होने लगी है। क्रिकेट फैंस की हज़ारों उम्मीदों के बीच एक बार फिर सचिन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में उतरे... उम्मीद था कि जो कसर... जो कसक ...पहली पारी में अधूरी रह गई थी... उसको टीम इंडिया का ये भगवान दूसरी पारी में जरूर जीत के साथ पूरा करेगा... क्योंकि जिस वक्त सचिन तेंदुलकर विकेट पर आए थे... उस वक्त टीम इंडिया जीत से महज़ 32 रन दूर थी... सबको लगा कि यहां से सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया को जीत दिलाकर ही लौटेंगे... लेकिन इसे सचिन की किस्मत कहें... या फिर बढ़ती उम्र का तकाजा ... मास्टर ब्लास्टर चाहकर भी फैंस की इस ख्वाहिश पूरी नहीं कर सके... अभी सचिन विकेट पर खड़े ही हुए थे कि नाथन लियोन की एक गेंद ने सचिन को अपने आकिरी टेस्ट में एक बार फिर सस्ते में लौटने पर मजबूर कर दिया... सचिन दूसरी पारी में भी महज़ 1 रन पर आउट हो गए... इसे इत्तेफाक कहें... या फिर सचिन की बदकिस्मती ... लेकिन हकीकत यही रही कि सचिन कोटला के मैदान में मौजूदा हज़ारों फैंस की उम्मीदों को तोड़कर मायूस होकर पवेलियन लौट गए... वैसे ये पहला मौका नहीं था... जब सचिन के बल्ले ने खामोशी इख्तियार की थी...बल्कि चेन्नई टेस्ट को छोड़ दिया जाए... तो सीरीज़ में ज्यादातर मौकों पर मास्टर के बल्ले ने मायूसी ही दिखाई... और यही वजह रही कि सीरीज़ में जहां चेतेश्वर पुजारा... और मुरली विजय जैसे बल्लेबाज़ रनों का अंबार लगा गए ...वहां सचिन 200 रनों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके...   सचिन ने 4 टेस्ट मैचों की 7 पारियों में 32.00 की औसत से सिर्फ 192 रन ही बनाए .. जिसमें चेन्नई टेस्ट की 81 रनों की पारी भी शामिल रही... यानि चेन्नई की पारी को छोड़ दिया जाए... तो सचिन के बल्ले से बाकी 6 पारियों में सिर्फ 111 रन ही निकले...   बहरहाल ये बहुत मुमकिन है कि सचिन को अब भारत में खेलने को नहीं मिले... ऐसे में अगर मास्टर ब्लास्टर घेरलू सरज़मीं पर बल्ले से ब्लास्ट दिखाते ...तो ये सीरीज़ टीम इंडिया के साथ साथ ... सचिन के लिए भी ऐतिहासिक हो सकती थी। लेखक रजनीश कुमार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.