

खेल मंत्रालय औऱ बीसीसीआई आमने सामने
मुश्किल में BCCI
ज़रा सोचिए अगर सचिन तेंदुलकर देश के लिए ना खेलकर किसी कंपनी के लिए खेलें... औऱ महेन्द्र सिंह धोनी टीम इंडिया के कप्तान ना होकर सिर्फ... किसी कंपनी के कप्तान हों, तो क्या होगा । चौंकिए मत क्योंकि अगर बीसीसीआई ने ... जल्द खेल मंत्रालय के साथ समझौता नहीं किया तो... टीम इंडिया देश की टीम ना होकर सिर्फ एक कंपनी की टीम रह जाएगी। दरअसल बीसीसीआई को खेल मंत्रालय ने एक खत लिखकर ... अपनी शर्तें मानने का नोटिस भेजा है। खेल मंत्रालय चाहता है कि बीसीसीआई भी ... देश के तमाम दूसरे Sports Federations और Associations की तरह ... मंत्रालय द्वारा बनाए गए rules and regulations औऱ working pattern की guidelines को follow करे। खास बात ये है कि इन निर्देशों को नहीं मानने पर बीसीसीआई के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है ... जिसके तहत खेल मंत्रालय से उसे मिली मान्यता रद्द हो जाएगी। जिसके बाद BCCI की चुनी हुई टीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी टूर्नामेंट में ... देश का प्रतिनिधित्व करने की हकदार नहीं होगी।
BCCI HISTORY
बीसीसीआई का गठन आज़ादी से पहले 1928 में हुआ था ... औऱ तभी से ये संस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का ... क्रिकेट के खेल में प्रतिनिधित्व करती है। हालांकि बीसीसीआई ने कभी भी किसी सरकार से आर्थिक मदद नहीं ली ... लेकिन इसके बावजूद खेल मंत्रालय की बीसीसीआई के लिए खास दलील है। खेल मंत्रालय के मुताबिक
1. बीसीसीआई भारत सरकार के रिकॉर्ड्स में एक National Sports Federations के तौर पर रजिस्टर्ड है। इसीलिए इसकी Parent Body खेल मंत्रालय को ही माना जाएगा।
2. सरकारी मान्यता के आधार पर ही बीसीसीआई देश में क्रिकेट के संचालन की monopoly बरकरार रख पाई है।
3. बीसीसीआई भी अन्य खेल संघों की तरह सरकार से टैक्स में रियायत लेती है। इसीलिए उसे मंत्रालय के निर्देश मानने ही होंगे।
4. किसी भी मैच या टूर्नामेंट के आयोजन के दौरान बीसीसीआई को सरकार से सुरक्षा के लिए पुलिस जैसी मुफ्त सुविधाएं दी जाती हैं।
5. Sports Goods के विदेशों से Import में भी बीसीसीआई सरकार से Custom Duty में रियायत हासिल करती है।
मौजूदा वक्त में बीसीसीआई को खेल मंत्रालय की तरफ से मान्यता ज़रूर प्राप्त है ... लेकिन हकीकत में ये मान्यता उसे ब्रिटिश काल में आज़ादी से पहले 1928 में ही मिल गई थी। तब बीसीसीआई को कलकत्ता क्रिकेट क्लब कहा जाता था 2009 तक बीसीसीआई की छवि भी साफ थी ... लेकिन आईपीएल जैसे commercial event से हुई अरबों की कमाई के बावजूद ... जब बीसीसीआई ने सरकार को टैक्स देने से मना कर दिया ... तो सरकार के तेवर बदल गए। 2009 में पहले सरकार ने आईपीएल की कमाई पर ... टैक्स की रियायतें खत्म कीं ... औऱ बोर्ड को खेल मंत्रालय को अपनी Parent Body मानने के लिए खत लिखा। हालांकि ये बात और है कि महीनों तक बार-बार खत भेजने के बावजूद ... बीसीसीआई इस मुद्दे पर अभी तक चुप्पी लिए हुए है।
खेल मंत्रालय ने बेशक बीसीसीआई को अपनी Guidelines Follow करने के निर्देश देकर ... अपना रूख साफ कर दिया हो ... लेकिन बीसीसीआई भी क्रिकेट की सत्ता को इतनी आसानी से गंवाने के मूड में नहीं है...।
बीसीसीआई पिछले 2 साल से मंत्रालय के निर्देशों को टालती आ रही है । ताज़ा खत के अलावा आखिरी बार ... बीसीसीआई को खेल मंत्रालय ने 2009 में खत लिखा था ... जिसका आज तक बीसीसीआई ने जवाब नहीं लिखा है। मान्यता के मसले पर बीसीसीआई सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी पूरी तरह तैयार है। आजादी के बाद से देश की सरकारें बीसीसीआई के प्रति काफी नर्म रहीं ... 80 के दशक तक देश में क्रिकेट सिर्फ एक खेल था ... और हॉकी औऱ कबड्डी जैसे खेल क्रिकेट के बराबर लोकप्रिय थे। लेकिन 1983 वर्ल्डकप की जीत के बाद ... देश में क्रिकेट की पहचान बदल गई। 2000 आते-आते ये एक धर्म बना ... और 2008 में आईपीएल के बाद पैसा बनाने की फैक्ट्री।
दूसरे क्रिकेट खेलने वाले देशों का इतिहास
ऑस्ट्रेलिया
खेल मंत्रालय की दलील है कि दुनिया भर में ... मौजूद क्रिकेट बोर्ड्स को भी अपने देशों की स्थानीय सरकारों से मान्यता लेनी पड़ती है। हम आपको बताते हैं वर्ल्ड क्रिकेट के कुछ नामी क्रिकेट बोर्ड्स की सच्चाई ... बीसीसीआई के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ताकतवर बोर्ड है ...
Cricket Australia ... जिसे Australian Cricket Board भी कहते हैं। इसका गठन 1905 में Australian Public Company limited के नाम से किया गया था। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलियाई सरकार के खेल मंत्रालय की तरफ से मान्यता के अलावा ... तमाम अन्य खेल संघों की तरह रियायतें भी मिली हुई हैं। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के किसी भी काम-काज में सरकारी दखल न के बराबर होता है । लेकिन हर दो साल में होने वाले Cricket Australia के अध्यक्ष पद के चुनाव ... सरकारी नियंत्रण में कराए जाते हैं।
साउथ अफ्रीका
वहीं South Africa में क्रिकेट के खेल के लिए काम कर रही गवर्निंग बॉडी Cricket South Africa पर ... अफ्रीकी सरकार का काफी नियंत्रण है। हालांकि ये एक Auto-nomous Body है ... लेकिन साउथ अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव यानि काले औऱ सफेद रंग में फर्क को दूर करने के लिए ... इसके working pattern को ... सरकार मान्यता दिलाना आवश्यक होता है। यहां तक की नियुक्ति के बाद ... Office Bearers और टीम को चुनने वाले Selectors की लिस्ट भी ... सरकार के पास भेजी जाती है।
इंग्लैंड
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे पुराना क्रिकेट बोर्ड है ... और 1997 तक ये एक Independent Body के तौर पर ... अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंग्लैंड का क्रिकेट में प्रतिनिधित्व किया करता था। लेकिन 1997 में इंग्लैंड के House Of Commons में उठी मांग के बाद ... ईसीबी को सरकार से औपचारिक मान्यता लेनी पड़ी।
बीसीसीआई की तरह ईसीबी भी ... इंग्लैंड सरकार से आर्थिक मदद नहीं लेती है। लेकिन ये भी हकीकत है ईसीबी के कामकाज में भी ... इंग्लैंड की सरकार का कोई दखल नहीं है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की अगर बात की जाए तो ... पीसीबी तो पूरी तरह से ही पाकिस्तान सरकार के नियंत्रण में चलने वाली संस्था है । पाकिस्तान का राष्ट्रपति पीसीबी का Chief Patron होता है ... इतना ही नहीं पीसीबी के अध्यक्ष की नियुक्ति भी पाकिस्तान का राष्ट्रपति ही करता है। पीसीबी को भी पाकिस्तान में मान्यता के साथ-साथ टैक्स जैसी तमाम रियायतें मिली हैं ... लेकिन उस पर पाकिस्तानी सरकार के खेल मंत्रालय का कोई नियंत्रण नहीं होता।


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