sportskhabar.blogspot.in

sportskhabar.blogspot.in
खेल से खेल तक

मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

सायना नहीं 'सनसनी सायना' कहो


नई उड़ान है सायना नेहवाल

सायना नेहवाल की हॉगकॉग ओपन सुपर सिरीज़ में ख़िताबी जीत ने एक बार फिर इस युवा खिलाड़ी का दृढ़ निश्चय दिखाया है.इस साल सायना की सुपर सिरीज़ में ये चौथी जीत है. इससे पहले उन्होंने इंडियन ओपन, सिंगापुर ओपन और इंडोनेशियाई ओपन जीता था। सायना ने राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीतकर भारत को पदक तालिका में दूसरे स्थान पर पहुँचाया था।उस फ़ाइनल में सायना पहला गेम हार चुकी थीं. उसके बाद लगातार दो गेम जीतकर स्वर्ण पदक जीतना एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी.
कुछ ऐसा ही करिश्मा सायना ने हॉन्गकॉन्ग ओपन में कर दिखाया. पहला गेम वो 15-21 से हार चुकी थीं.
उसके बाद लगातार दो गेम जीतना और वो भी चीन की प्रतिद्वन्द्वी के विरुद्ध आसान काम नहीं था.
मगर सायना ने फ़ोकस बनाए रखते हुए साल की चौथी सुपर सिरीज़ जीत ली.
सायना की कामयाबी
ये जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले ही महीने चीन के ग्वांगजो में हुए एशियाई खेलों में वह क्वॉर्टर फ़ाइनल में हार गई थीं.
उन्हें वहाँ हॉगकॉग की यिप पुइ यिन ने हराया था. उस दिन सायना कोर्ट पर ठीक से मूव नहीं कर पा रहीं थीं और न ही उनके खेल में वो धार थी.
मैच के बाद बात करते हुए सायना काफ़ी निराश थीं और ऐसा लगा था जैसे वो ख़ुद भी उस हार से दंग थीं.
मगर उस हार से उबरकर एक महीने के भीतर उन्होंने हॉन्गकॉन्ग ओपन सुपर सीरीज़ जीती.
इस टूर्नामेंट में उन्होंने यिप पुइ यिन को भी हराया और न सिर्फ़ हराया बल्कि आसानी से हराया, जैसे यिप का और उनका कोई मुक़ाबला ही नहीं था.
सायना की इससे पहले की ख़िताबी जीतों में ये कहा जाता रहा है कि उनके सामने चीनी प्रतिद्वन्द्वी नहीं पड़ते थे और इसीलिए वह आसानी से जीत हासिल कर लेती थीं.
मगर इस बार फ़ाइनल में उन्होंने वो भी कर दिखाया. चीन की वॉन्ग शिशियान को उन्होंने कड़े मुक़ाबले में मगर बेहतरीन प्रदर्शन के साथ हराया.
इस जीत के साथ सायना में भी एक आत्मविश्वास आएगा कि उनके लिए किसी भी खिलाड़ी को हराना मुश्किल नहीं है.
इसमें बहस की शायद ही गुंजाइश हो कि सायना बैडमिंटन में आज तक की भारत की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के तौर पर उभर रही हैं.
सीखने की उनकी ललक उनसे बातचीत में ही झलकती है जबकि उन्होंने तीनों सुपर सिरीज़ में जीत के बाद हैदराबाद में मुझसे बातचीत करते हुए कहा था कि वो जब भी कोर्ट पर उतरती हैं कुछ नए तरह के शॉट्स सीखना चाहती हैं.
इस पूरी प्रक्रिया में उनके कोच पुलेला गोपीचंद भी हमेशा उनके साथ खड़े नज़र आते हैं जो साइना को लगातार बेहतर बनाने में कोई क़सर छोड़ना नहीं चाहते.
अब साइना की नज़र ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन और ओलंपिक के स्वर्ण पदक पर होगी. अगर इसी प्रतिबद्धता के साथ और पूरी लगन के साथ साइना का अभ्यास जारी रहा तो उनके लिए ये मुक़ाम भी मुश्किल नहीं होंगे.
नंबर वन पर सायना का निशाना
भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने हॉगकॉग ओपन सुपर सिरीज़ प्रतियोगिता जीत ली है.
उन्होंने फ़ाइनल में चीन की वॉग शिशियान को हराया.
इसके साथ ही वो बैंडमिंटन में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बन सकती हैं.
आधिकारिक रूप से रैंकिंग की घोषणा बाद की जानी है.
कड़े संघर्ष में सायना ने वांग शिशियान को 15-21, 21-16 और 21-16 से हराया.
सेमीफ़ाइनल में साइना ने जर्मनी की खिलाड़ी जूलियन शेंक को कड़े मुकाबले में 21-19,17-21, 21-12 से हराया था.
इससे पहले क्वार्टर फ़ाइनल में सायना ने एशियाई खेलों में मिली हार का बदला लेते हुए हॉगकॉग की यिप पुइ यिन को 21-11, 21-10 से हराया था और सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी.
पिछले महीने ग्वांगज़ो में हुए एशियाड में यिप ने सायना को क्वार्टर फ़ाइनल में हराया था.
वैसे साल 2010 साइना के करियर में सबसे बेहतरीन रहा है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.